मैं जीवन हूँ
सुख-दु:ख दोनों साथ लिए,आशाओं का आभास लिए, कभी विचलित कभी अविचल,कभी कल्पना को साथ लिए कभी थीर कभी कम्पित पग से,कभी गाँव कभी विस्तृत जग से, आगे बढ़ता जाता हूँ,इसीलिए जीवन कहलाता हूँ। कभी अगणित कभी गणित सरल,कभी पयस कभी विकट गरल, कभी तप्त कभी शीतल,कभी मधुर कभी खारा जल कभी अनन्त कभी निकट व्योम,कभी … Read more