मेरा गाँव दिखा दो

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** कोयल का संगीत सुना दो, मुझको मेरा गाँव(अवलेश्वर)दिखा दो। कंक्रीटों के हवा महल में, फंसा हुआ मेरा जीवन है झूठी आशा बड़ी पिपासा, रूप धरे नित नूतन है। कैसी है ये मूक विवशता, मानव का संवाद मन्द है रिश्ते सारे पड़े दुआरे, मेरे मन तो छिड़ा द्वन्द है। विष … Read more

ग़र न होती ये सेल्फी…

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** उस `सेल्फी` में से खुशबू आती है, सोचता हूँ ग़र न होती ये सेल्फी… तो कौन खींचता बेझिझक-सी तस्वीर हमारी, कोई कहता कि लाओ खींच दूँ मैं तो हम कैसे भर पाते वो खाली जगह बीच कीl तुम शायद कंधे से टिक जाती मेरे, और मैं शायद धीमे से … Read more

किसकी फितरत!

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** कभी साँपों को देखकर डर जाता था, अब दो-चार साँप तो आस्तीन में ही पाल लेता हूँ। उल्लूओंं को कभी अपशगुन मानने वाला मैं, अब पूरे दिन-महीने-साल उल्लूओं के साथ ही बिताता हूँ। कभी कुत्ते को भौंकते देखकर बुरा बहुत मानता था, अब लोगों को दिनभर भौंकते देखकर भी … Read more