संभल जाओ मानव अभी भी
डॉ.साधना तोमर बागपत(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. खुद के लिए ही जिए हो सदा तो, आज गमगीन क्यों हो रहे हो ? प्रकृति से छेड़छाड़ करते रहे तुम, अब उसने छेड़ा तो क्यों रो रहे हो ? प्रदूषण दिया सदा इस जगत को, वृक्षों को भी बस काटे जा रहे हो। पशु-पक्षियों … Read more