प्रियतम आओ…
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** रचना शिल्प:मात्रा १६-१४………. प्रिय परदेश छोड़ घर आओ,अब बसंत आने को है।सुमनों से मिलकर मधुकर अब,प्रणय गीत गाने को है॥ बहुत सही मैं विरह वेदना ,जागी कई निशाओं में।मेरे नयन नीर मिले थे,प्रियतम काग घटाओं में॥कुसुमाकर से हार मानकर,अब निपात जाने को है।प्रिय परदेश छोड़ घर आओ,अब वसंत आने को है…॥ कलियाँ … Read more