जैसे बारिश से बेनूर…
सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************* वो इस कदर बरसों से मुतमइन है, जैसे बारिश से बेनूर कोई ज़मीन है। साँसें आती हैं,दिल भी धड़कता है, सीने में आग दबाए जैसे मशीन है। आँखों में आखिरी सफर दिखता है, पसीने से तरबतर उसकी ज़बीन है। अपने बदन का खुद किरायेदार है, खुदा ही बताए वो कैसा … Read more