जैसे बारिश से बेनूर…

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************* वो इस कदर बरसों से मुतमइन है, जैसे बारिश से बेनूर कोई ज़मीन है। साँसें आती हैं,दिल भी धड़कता है, सीने में आग दबाए जैसे मशीन है। आँखों में आखिरी सफर दिखता है, पसीने से तरबतर उसकी ज़बीन है। अपने बदन का खुद किरायेदार है, खुदा ही बताए वो कैसा … Read more

ये चाक जिगर के सीना भी जरूरी है

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************* ये चाक जिगर के सीना भी जरूरी है। कुछ रोज़ खुद को जीना भी जरूरी है। ज़िंदगी रोज़ ही नए कायदे सिखाती है, बेकायदे हो के कभी पीना भी जरूरी है। सब यूँ ही दरिया पार कर जाएँगे क्या, सबक को डूबता सफीना भी जरूरी है। जिस्म सिमट के पूरा … Read more

अब कैसे कृष्ण,कैसे राम निकलेगा

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************* तेरा न बोलना बहुत देर तक खलेगा, एक न एक दिन तेरा घर भी जलेगाl नज़र बंद हो अपनी बोई नफरतों में, फिर रहीम और कबीर कहाँ मिलेगाl चाँद को चुरा के रात को दोष देते हो, इंतज़ार करो,आसमाँ भी पिघलेगाl जाति,धरम,नाम सबसे तो खेल लिया, अब कैसे कृष्ण,कैसे राम … Read more

दर्द ज्यादा हो तो बताया कर

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************* दर्द ज्यादा हो तो बताया कर, ऐसे तो दिल में न दबाया करl रोग अगर बढ़ने लगे बेहिसाब, एक मुस्कराहट से घटाया करl तबियत खूब बहल जाया करेगी, खुद को धूप में ले के जाया कर, तरावट जरूरी है साँसों को भी, अंदर तक बारिश में भिगोया करl तकलीफें सब … Read more

मैं मदहोश न हो जाती क्यों-कर

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** न जाने किनका ख्याल आ गया। रूखे-रौशन पे जमाल आ गया। जो झटक दिया इन जुल्फों को, ज़माने भर का सवाल आ गया। मैं मदहोश न हो जाती क्यों-कर, खुशबू बिखेरता रूमाल आ गया। मैं मिट जाऊँगी अपने दिलबर पे, बदन तोड़ता जालिम साल आ गया। मेरे हर अंग पे … Read more

ख़त मेरा खोला उसने सबके जाने के बाद

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** खत मेरा खोला उसने सबके जाने के बाद। दिल हुआ रोशन,शमा बुझाने के बाद। महफ़िल चुप थी मेरी चुप्पी के साथ, हुआ हंगामा मेरे हलफ उठाने के बाद। जो अब तक देखा वो कुछ भी नहीं था, कयामत हुई उनके दुपट्टा गिराने के बाद। माँ को समझाया,मैं जरूर आऊँगा, पर … Read more

चाँद को जलाते हो

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** शाम ढले तुम छत पे क्यूँ आते हो, मुझे मालूम है चाँद को जलाते हो। तुमसे ही नहीं रौशन ये जहाँ सारा, मुस्कुराकर तुम उसे यह बताते हो। होंगे सितारे तुम्हारे हुस्न पर लट्टू, गिरा के दुपट्टा ये गुमाँ भी भुलाते हो। हुई पुरानी तुम्हारी अदाओं की तारीफें, रोककर सबकी … Read more

क्यों न मृत्यु का भी उत्सव किया जाए!

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** एकमात्र शाश्वत सत्य यही, शिव के त्रिनेत्र का रहस्य यही चंडी का नैसर्गिक रौद्र नृत्य यही, कृष्णा-सा श्यामला,राधा-सा शस्य यही। तो क्यों न मीरा-सा इसका भी विषपान किया जाए॥ ये अनादि है,ये अनंत है, ये गजानन का त्रिशूली दंत है यही है गोचर,यही अगोचर, यही तीनों लोकों का महंत है। … Read more

अगली पीढ़ी का बोझ कौन उठाएगा

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** आग लगाने वाले आग लगा चुके, पर इल्ज़ाम हवाओं पे ही आएगा। रोशनी भी अब मकाँ देखे आती है, ये शगूफा सूरज को कौन बताएगा। बाज़ाए में कई ‘कॉस्मेटिक’ चाँद घूम रहे, अब आसमाँ के चाँद को आईना कौन दिखाएगा। नदी,नाले,पोखर,झरने सभी खुद ही प्यासे, तड़पती मछलियों की प्यास भला … Read more

दिल में आते-जाते रहिए

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************** इश्क़ का भ्रम यूँ बनाते रहिए, इस दिल में आते-जाते रहिएl आप ही मेरी नज़्मों की जाँ थी, ये चर्चा भी सरे आम सुनते रहिएl सिलिए ज़ुबान तकल्लुफ से, लेकिन निगाहें मिलाते रहिएl आप मेरी हैं भी और नहीं भी, ये जादूगरी खूब दिखाते रहिएl आप बुझ जाइए शाम की … Read more