किसान की जीवटता
सत्येन्द्र प्रसाद साह’सत्येन्द्र बिहारी’ चंदौली(उत्तर प्रदेश) ***************************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. अवसान वर्षा रित बढ़ता तुषार, ठिठुरती सांझ ओझल उदित सांध्य गीत की मधुर ध्वनि, सिमटती स्वर्णिम यामिनी की ओर। कांपते होंठ विचलित कदम, कट-कटाते दांत नाचती रात सीना समीर का भेदते हूए, बढ़ता किसान खेतों की ओर। धुंधले बादल शबनम की, राह खड़ी … Read more