शांति निकेतन
डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** भाग -३……. कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत महसूस करते थे। उनके मन में एक ऐसे संस्थान की परिकल्पना थी,जहां शिक्षा का मतलब केवल किताबों में सिमटना न हो। वे चाहते थे बच्चे बंद कमरों से बाहर निकलकर प्रकृति के साथ जुड़ना सीखें। कहीं उन्होंने … Read more