शांति निकेतन

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** भाग -३....... कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत महसूस करते थे। उनके मन में एक ऐसे संस्थान की परिकल्पना थी,जहां…

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शांति निकेतन

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** भाग -२..... शहरी कोलाहल से दूर शांति निकेतन के हरे भरे परिसर में आकर व्यक्ति का प्रकृति के साथ सीधा संवाद स्थापित हो जाता…

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शांति निकेतन

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** भाग-१....... शांति निकेतन मेरे लिए हमेशा ही प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। इस बार इस यात्रा ने एक लेखक के रूप में मुझे प्रकृति…

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सबसे बड़े अभिनेता को सबसे बड़ा पुरस्कार

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** अपने देश में दादा साहब फाल्के अवार्ड अभिनय के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार है,जिसे देश के सबसे बड़े अभिनेता को…

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अपनी चुप्पी तोड़ें…

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** १७ साल की एक लड़की एक विधायक के घर नौकरी के लिए बात करने जाती है और फिर कुछ समय बाद वह बताती है…

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पृथ्वी का बढ़ता तापमान…एक चेतावनी

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** भारत नेपाल सीमा रक्सौल में पिछले तीन-चार दिन से पारा ४२ तक जा पहुंचा है,जो पिछले साल के महत्तम तापमान से अधिक है। ऊँचे…

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साझेदार बनिए,मतदान अवश्य कीजिए

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** लोकसभा चुनाव का अगला चरण आ रहा है...इसलिए मतदान अवश्य कीजिये...बेहतर और मजबूत लोकतंत्र के निर्माण के लिए..अपने क्षेत्र और देश के सर्वांगीण विकास…

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खतों की बात पुरानी हो चली…

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** वो भी क्या दिन थे जब खतों में दिल का हाल लिखा जाता था...कोरे कागज पर जज़्बात उकेरे जाते थे...लफ़्जों में अहसास पिरोये जाते…

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देश की खातिर…

शरद जोशी 'शलभ' धार (मध्यप्रदेश) **************************************************************************** देश की खा़तिर जिएँ हम,देश की ख़ातिर मरें, देश का गौरव बढे़ सब,काम हम ऐसे करें। आपसी मतभेद सारे,जो भी हैं हम भूल जाएँ,…

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कहाँ खो गए वो ढोल-मंजीरे..वो गीत..

डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** हमारे देश के व्रत-त्योहार हमारी गौरवशाली परम्परा और संस्कृति का दर्पण हैं। देश की अनेकता में एकता की जो झाँकी दिखाई देती है उसमें…

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