श्रम को अपना लो

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* पाते हैं नववर्ष तब,खोते जब इक साल।आशा लेकर आ गया,आज नया इक काल॥आज नया इक काल,बंधु उम्मीदें पा लो।भाग्य-भरोसा छोड़,आज श्रम को अपना लो॥जिनके कर्मठ हाथ,वही बढ़ते जाते हैं।धुन है जिनके साथ,वही मंज़िल पाते हैं॥ परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL … Read more

दु:ख बस मन का भाव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* भागा सुख को थामने,दिया न सुख ने साथ।कुछ भी तो पाया नहीं,रिक्त रहा बस हाथ॥रिक्त रहा बस हाथ,काल ने नित भरमाया।सुख-लिप्सा में खोय,मनुज ने कुछ नहिं पाया॥जब अंतिम संदेश,तभी निद्रा से जागा।देखो अब है अंत,आज मैं सब तज भागा॥ दु:ख बस मन का भाव है,भाव करे बेचैन।वरना सुख-दु:ख एक से,संतों … Read more

हे! मेरे परमेश्वर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष….. वंदन है,नित अभिनंदन है,हे शिक्षक जी तेरा।फूल बिछाये पथ में मेरे,सौंपा नया सबेरा॥ भटक रहा था भ्रम के पथ पर,राह दिखाई मुझकोगहन तिमिर को परे हटाया।नमन् करूं मैं तुझको,आशाओं के सावन में है अरमानों का डेरा।शीश झुकाऊं हे परमेश्वर,भाग्य मिरा यूँ फेरा॥ मायूसी से … Read more

दिल के स्पंदन में तुम…

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ********************************************* दिल के स्पंदन में बसता है,प्रियवर का बस नाम।रात-दिवस हो,कोई बेला,प्रियवर तुम अभिराम॥ स्पंदन के हर स्वर गाते,नित तेरा ही गीत,तू है जब तक साथ मेरे तो,पाऊँगा मैैं जीत।मेरा यह जीवन लगता है,तेरा ही उपहार,जीवन को हरसाकर मेरे,कर दे तू उपकार।जबसे तुझको पाया तबसे,जीवन ललित ललाम,रात-दिवस हो,कोई बेला,प्रियवर तू अभिराम…॥ … Read more

देवाधिदेव महादेव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ****************************************** औघड़दानी,हे त्रिपुरारी,तुम प्रामाणिक स्वमेव।पशुपति हो तुम,करुणा मूरत,हे देवों के देव॥ तुम फलदायी,सबके स्वामी,तुम हो दयानिधानजीवन महके हर पल मेरा,दो ऐसा वरदान। आदिपुरुष तुम,पूरणकर्ता,शिव,शंकर महादेव,नंदीश्वर तुम,एकलिंग तुम,हो देवों के देव…॥ तुम हो स्वामी,अंतर्यामी,केशों में है गंगाध्यान धरा जिसने भी स्वामी,उसका मन हो चंगा। तुम अविनाशी,काम के हंता,हर संकट हर लेव,भोलेबाबा,करूं वंदना,हे … Read more

गुरु-वंदना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) **************************************** गुरु पूर्णिमा विशेष………. गुरुवर तुम तो ज्ञान हो,हो सूरज का रूप।शिष्यों को तुम दे रहे,सदा सुनहरी धूप॥ गुरुवर तुमने सीख दे,बाँटा बहुत विवेक।तुम तो गुरुवर तेज हो,तुम हो हरदम नेक॥ गुरुवर मैं अज्ञानमय,खोया था अँधियार।तुमने ही निज ज्ञान से,जीवन दिया सँवार॥ सत्य,न्याय जाना नहीं,ना नैतिकता-भाव।पर अब गुरुवर है नहीं,मुझको कोय … Read more

पिता का प्रेम

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************ ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. जिसका जीवन संघर्षों की,प्रखर एक गाथा है।सचमुच में उस पिता के आगे,झुक जाता माथा है॥ संतानों के जीवन में जो,बिखराता उजियारारक्षक बनकर पहरा देता,दूर करे अँधियारा।वह रचना करता संतति की,जनक कहाता है,सचमुच में उस पिता के आगे,झुक जाता माथा है…॥ निज सुख … Read more

संवेदना एक वरदान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** जीवन में संवेदना,लाती है मधुमास।अपनाकर संवेदना,मानव बनता ख़ास॥ संवेदित आचार तो,है करुणा का रूप।जिससे खिलती चाँदनी,बिखरे उजली धूप॥ संवेदित सुविचार से,मानव बने उदार।द्वेष,कपट सब दूर हों,बिखरे नित उपकार॥ अंतर्मन में नम्रता,अधरों पर मृदु बोल।करती है संवेदना,जीवन को अनमोल॥ रीति,नीति हमसे कहें,बनना सद् इनसान।आएगी संवेदना,पाए जीवन मान॥ हो संवेदित पौंछ दो,आँसू,दो … Read more

योग का कोई विकल्प नहीं

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ********************************************** विश्व योग दिवस विशेष ‘तन-मन को जो स्वस्थ कर,दे चोखे आयाम।योग प्रबल इक शक्ति है,देती नव परिणाम॥’सामान्य भाव में योग का अर्थ है जुड़ना,यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है। आत्मा का परमात्मा से जुड़ना यहां अभीष्ट है। योग की पूर्णता इसी में है कि जीव भाव में पड़ा … Read more

कुलबुलाहट

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** कोरोना ने उजाड़ दिया है चमन।क्या से क्या हो गया है मेरा वतन॥ रिश्ते सारे बिखर गए,अपने दूर हुए,मेल-मिलाप ख़त्म हुआ,सब मजबूर हुए।ऐसा चलेगा कब तक,यही सोच घबराहट है,सच में,दिल में यही एक कुलबुलाहट है॥ विद्या मंदिर सुनसान पड़े हैं,सब मोबाइल,लैपटॉप के सामने अड़े हैं।पुस्तकालय सारे कर रहे हैं विलाप,सुख-दुख … Read more