घर-परिवार:ज़रूरत बदले हुए नज़रिए की

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… ‘ज़िंदगी मेरे घर आना,आना ज़िंदगी,मेरे घर का सीधा-सा इतना पता है,मेरे घर के आगे मुहब्बत लिखा है,न दस्तक ज़रूरी,ना आवाज देना,मैं साँसों की रफ़्तार से जान लूँगी,हवाओं की खुशबू से पहचान लूँगी।…’कहने का तात्पर्य है-‘जो सुख छज्जू के चौबारे, ओ बल्ख न बुखारे’ इस उक्ति का अर्थ है … Read more

कामचोरी

डॉ.शशि सिंघल दिल्ली(भारत) ********************************************************************************* नवम्बर का महीना था। ठंड ने अपने पाँव पसारने शुरू कर दिए थे। अभी कंपकंपाने वाली ठंड नहीं थी,मगर सूरज चाचू मद्धम-मद्धम तेज के साथ चल रहे थे। हल्की-हल्की गुलाबी ठंडक के चलते सूरज से सेंक लेना सुहाने लगा था। गली-मुहल्ले की महिलाएं अपने-अपने काम से निपटकर घर के बाहर बेड़े … Read more

स्वच्छता अभियान की धज्जियाँ मत उड़ाइए

डॉ.शशि सिंघल दिल्ली(भारत) ********************************************************************************* आजकल किसी पेड़ की हालत तो देखिए,जो आप और हमारे द्वारा डाली गई गंदगी को अपने आँचल में समेटे अपनी बेबसी पर आँसू बहाने को मजबूर है। आखिर वह अपना दु:खड़ा कहे तो किससे कहे ? ऐसी दुर्दशा सिर्फ एकाध ही पेड़ की नहीं,बल्कि आप जिस क्षेत्र में भी जाएंगे,वहीं जगह-जगह … Read more

माँ तुझे सलाम..

डॉ.शशि सिंघल दिल्ली(भारत) ********************************************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… ‘माँ’ एक शब्द नहीं,बल्कि इसमें दुनिया- जहान का बसेरा है। इसे कुछ शब्दों में बयां करना नाइंसाफी होगी। सम्पूर्ण जगत को ईश्वर का अनमोल तोहफा है ‘माँ’,जिसकी ममता भरी छाँव में जन्नत जैसा सुकून मिलता है। माँ का नाम लेते ही दिलो-दिमाग पर छाए संकट के बादल … Read more