इसी से बचना

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** बेताबी तो है,कविता लिखने कीपर,अभी नहीं लिखूँगा। बहुत काम करने हैं-दूध लेने जाना है,बच्चे की फीस जमा करनेजाना हैमेरा एक पड़ोसी,अस्पताल में भर्ती हैउसकी मदद करने के…

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कब आओगे साजन

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** घर,आँगन,गलियाँ,चौराहे,सूने-सूने लगते हैं।वापस कब आओगे साजन,राह तुम्हारी तकते हैं॥ चिड़ियाँ फुदकें आँगन में आ,पहले जैसी बात नहीं।खिलें फूल खुशबू भी देते,उसमें वैसी रास नहीं।पवन झकोरे मद्धिम-मद्धिम,बेमन-बेमन बहते…

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अनमोल पल

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** हम,जीअपनी जिंदगी रहे हैं,परहमारी नजर,औरों की जिंदगी पर हैयही प्रतिस्पर्धा है…घुड़दौड़ है। जो,न हमेंसुबह होने का,आभास कराती हैऔर न ही,शाम ढलने का। हम आलसी,भले ही नहीं रहेमगर,संतोषी…

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गृहलक्ष्मी के चरण

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** वंदन होता जहां ज्योति का,रहता अमर प्रकाश वहीं।जहां नारियों का पूजन है,देवों का आवास वहीं॥ गृह लक्ष्मी के चरण जहां हैं,ममता का मधुमास वहीं।करुणा,समता,शुचिता,मृदुता,प्रभुता का आभास वहीं॥…

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कुरीति:सब मिल करें प्रतिज्ञा

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** सारे मानव एक जगत के,विश्व एक परिवार है।चाहे-अनचाहे,सुख-दुःख में,हम सब साझेदार हैं॥ जितनी बड़ी सृष्टि यह सारी,उतनी बड़ी समस्याएं।रीति-रिवाजों में घुस बैठीं,रुढ़िवादी परम्पराएं॥ इस दहेज ने जला…

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माँ का सम्मान करें

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** बचपन से ना जाने कितने,देवी-देव मनाती हैसुता,बहन,पत्नी से होकर,यात्रा माँ तक आती है। नौ माह तक रखा गर्भ मेंसर्द-दर्द सब सहती हैकब देखूं मुखड़ा शिशु का ?इस…

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कोरोना का दंश…

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** कोरोना का दंश गजब का,काँप रहा है जग सारा।सुबह-शाम तक सूरज सिर पे,फिर भी लगता अँधियारा॥ हर पल काँटे से चुभते हैं,आँखों से आँसू झरते।सिसक-सिसक कर साँसें…

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इंसानियत के दुश्मन

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** कहां खो गई ममता,करुणा,क्यों तुम इतने क्रूर हो गए ?यत्र,तत्र,सर्वत्र मिलावट,कितना मद में चूर हो गए ? अपनी सुख-सुविधा की खातिर,ले लेते कितनों की जानें।पेटी,कोठी,कोठा,भरने,बुनते रहते ताने-बाने।मतलब…

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वसुधा को परिवार बनाएं

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… ममता,समता,शुचिता से युत,नव-नूतन संसार बसाएं।सामाजिक चेतना जगाकर,वसुधा को परिवार बनाएं॥ खूब बढ़ा विज्ञान किंतु क्यों,भ्रातृ-भावना मुकर गई है ?कलुष,कालिमा चढ़ जाने से,शक्ति हमारी बिखर…

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माँ सदा साथ परछाई की तरह

अनूप कुमार श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** माँ तो बस पूजा वंदगी की तरह।साथ है माँ खड़ी जिंदगी की तरह। मोल भी अनमोल जो ममता पायीं,माँ सदा साथ में परछाई की तरह। माँ…

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