बसंत
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* मिटाए वेदना चित की, उसे हम संत कहते हैं। कला जीने की सिखलाए, उसे सदग्रंथ कहते हैं। कहीं पतझड़,कहीं मधुवन, ये तो बस ऋतु प्रवर्तन है।…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* मिटाए वेदना चित की, उसे हम संत कहते हैं। कला जीने की सिखलाए, उसे सदग्रंथ कहते हैं। कहीं पतझड़,कहीं मधुवन, ये तो बस ऋतु प्रवर्तन है।…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* नहीं युद्ध से कभी डरे हम, डरते हैं छल-छंदों से। कभी नहीं हारे दुश्मन से, हारे हैं जयचंदों से॥ धर्म सदा से,समता,शुचिता, सत्य,शील,सन्मार्ग दिखाता। धर्म हुआ…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* आर्त नाद के गीत नहीं, अब गीत क्रांति के गाना होगा। मंत्र शांति का नहीं चला, अब रण का बिगुल बजाना होगा॥ कोने-कोने,गांव-गांव में, गली-गली,कूचे-कूचे में…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* जाति,धर्म का आरक्षण, आपस में बैर कराता है। निर्धन ज्यो का त्यों रहता है, धनिक वर्ग मुस्काता है॥ सत्तर सालों का अनुभव, क्या नहीं समझ में…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* कोई पत्थर से घायल है, कोई डंडे से जख्मी है। ये कैसा दौर शिक्षा का, ये कैसी मौज-मस्ती है। मेरे भारत के जाबांजों, जरा सोचो,जरा समझो।…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* कृपा गुरुदेव की मुझ पर, मुझे किस बात की चिंता। चरण रज पा लिया मैंने, तो फिर किस बात की चिंता॥ मेरे खाने की,पीने की, मेरे…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* आज मरे हैं सौ बच्चे, कल सौ लोगों की आँख गई थी। परसों कितने पुल टूटे थे, नरसों कितनी जान गई थी। आखिर वोट बैंक की…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* रातें सर्द,कुहासा दिन में, कहां ? कहीं उत्कर्ष हुआ ? अकड़न,जकड़न,ठिठुरन गहरी, कहां ? कहीं पर हर्ष हुआ ? दुबके,सहमे,ठिठुरे,अकड़े, बैठे हैं सब लोग यहां। सोचो…
हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* अब रोना कैसा है बिना प्याज के! जब मैं रहती थी तुम्हारी टोकरी में, मुझे हाथ लगाते ही आँसू आ जाते थे अब क्यों मेरे…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* आज पुनः इस दानवता से, मानवता अकुलाई है। गली-गली दुशासन फैले, द्रोपदियाँ घबराई हैं॥ अर्जुन भी है जगह-जगह, पर विमुख हुए कर्त्तव्यों से। नहीं भान है…