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बलिदानी अलख जगाना होगा

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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आर्त नाद के गीत नहीं,
अब गीत क्रांति के गाना होगा।
मंत्र शांति का नहीं चला,
अब रण का बिगुल बजाना होगा॥
कोने-कोने,गांव-गांव में,
गली-गली,कूचे-कूचे में
भारत की खातिर फिर से,
बलिदानी अलख जगाना होगा॥

श्रीनगर की हर वादी में,
हमने बमबारी देखी है।
संसद से गलियारे तक भी,
इनकी गद्दारी देखी है।
पत्थर से घायल सैनिक की,
भी हर लााचारी देखी है।
खूनी राजनीति करने की,
सारी मक्कारी देखी है॥
जहरीले जज्बातों से अब,
मजहब को उबारना होगा।
दिशाहीन इस तरुणाई को,
पावन पंथ दिखाना होगा।
कोने-कोने,गांव-गांव में,
गली-गली,कूचे-कूचे में
भारत की खातिर फिर से,
बलिदानी अलख जगाना होगा॥

लाल हो गई काश्मीर,पंजाब,
असम,केरल की माटी।
थू,थू,कर धिक्कार रही है,
जख्मी वह हल्दी की घाटी।
सम्प्रदाय का जहर पिलाया,
इन अबोध परवानों को भी।
पत्थरबाज बना डाला है,
बहका दिया जवानों को भी॥
राष्ट्रघातियों को सीधे,
यमपुर की सैर कराना होगा।
आतताइयों के चंगुल से,
पीड़ित को निकालना होगा॥
कोने-कोने,गांव-गांव में
गली-गली,कूचे-कूचे में,
भारत की खातिर फिर से
बलिदानी अलख जाना होगा॥

हर बाला झाँसी की रानी,
राण चंडी,दुर्गा बन जाये।
बच्चा-बच्चा लाल बहादुर,
शेखर या सुभाष कहलाए॥
पूजन,अर्चन,हवन,आरती,
इंक़लाब की बोली से हो।
जप भाले से,अर्ध्य रक्त से,
औऱ वंदना गोली से हो॥
अब तो तिलक,पटेल,भगत सिंह,
हम सबको बन जाना होगा।
मातृभूमि हित,मातृभक्त को,
युद्व भूमि में जाना होगा।
कोने-कोने,गांव-गांव में,
गली-गली कूचे-कूचे में
भारत की खातिर फिर से,
बलिदानी अलख जगाना होगा॥

खून बहाने पर वैसे तो,
पड़ती चोट मनुजता पर है।
पर कायर बनकर,चुप रहना,
भी कलंक तो नरता पर है।
हम तो शांति पुजारी हैं पर,
दुश्मन ने ही है ललकारा।
इसीलिये पौरुष दिखलाने,
का होता कर्तव्य हमारा॥
राणा की तलवार,तात्या की,
फिर तोप चलाना होगा।
अबकी समाधान की खातिर,
भारी मूल्य चुकाना होगा॥
कोने-कोने,गांव-गांव में,
गली-गली,कूचे-कूचे में
भारत की ख़ातिर फिर से,
बलिदानी अलख जगाना होगा॥

धरती अपनी प्यारी धरती,
यह धरती अपनी जननी है।
देशद्रोहियों के मर्दन से,
ही इसकी चिंता मिटनी है॥
वह प्रभुता स्वीकार नहीं जो,
सज्जन को ही दुर्जन कर दे।
लानत है ऐसी शौहरत पर,
जो जननी का सौदा कर दे॥
जननी के सौदागरों को,
तलुओं तले कुचलना होगा।
लहू के बदले लहू चाहिए,
यह ही नियम बनाना होगा।
कोने-कोने,गांव-गांव में,
गली-गली,कूचे-कूचे में
भारत की खातिर फिर से,
बलिदानी अलख जगाना होगा॥
तुष्टिकरण की द्रुत क्रीड़ाएं,
औऱ न आगे चल पाएगी।
स्वार्थ वृत्ति की घृणित हरकतें,
और सहन न हो पाएगी॥
उठो धनंजय धनुष सम्हालो,
गद्दारों को सबक सिखाओ।
नया महाभारत रचकर के,
पुनः नया इतिहास बनाओ॥
गाँधी को भी निज हाथों में,
अब हथियार उठाना होगा।
झोपड़ियों को भी सर पे अब,
कफ़न बांधकर आना होगा।
कोने-कोने,गांव -गांव में,
गली-गली,कूचे-कूचे में
भारत की खातिर फिर से,
बलिदानी अलख जगाना होगा॥
आर्त्तनाद के गीत नहीं अब,
गीत क्रांति के गाना होगा।
मंत्र शांति का नहीं चला अब,
रण का बिगुल बजाना होगा।
कोने-कोने,गांव-गांव में,
गली-गली,कूचे-कूचे में।
भारत की खातिर फिर से,
बलिदानी अलख जगाना होगा॥

परिचय-रायपुर में  बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत अमल श्रीवास्तव का वास्तविक नाम शिवशरण श्रीवास्तव हैl`अमल` इनका उपनाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैl अमल जी का जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैl आपने गणित विषय से बी.एस-सी.की करके बैंक में नौकरी शुरू कीl आपने तीन विषय(हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. भी किया हैl आपने रामायण विशारद की भी प्राप्त की है,तो पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैl भारतीय संगीत में आपकी रूचि है,इसलिए संगीत में कनिष्ठ डिप्लोमा तथा ज्योतिष में भी डिप्लोमा प्राप्त किया हैl वर्तमान में एम्.बी.ए. व पी-एचडी. जारी हैl शतरंज के उत्कृष्ट खिलाड़ी,वक्ता और कवि श्री श्रीवास्तव कवि सम्मलेनों-गोष्ठियो में भाग लेते रहते हैंl मंच संचालन में महारथी अमल जी लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैl देश के नामी पत्र-पत्रिका में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंl रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैl विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े होकर प्रांतीय पदाधिकारी भी हैंl गायत्री परिवार से भी जुड़े होकर कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैंl महत्वपूर्ण उपलब्धि आपके प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन सहित राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना हैl

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