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नारी-भारत माँ की मूरत
शिवम् सिंह सिसौदियाअश्रु ग्वालियर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… नारी मैंने तो तुझमें भारत माँ की मूरत देखी थी, सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा सीता की सूरत देखी थी। मैंने था तुझको प्रेम किया,था मैंने तुझको माँ माना, तुझको ही लक्ष्मीबाई,पद्मावती,धाय पन्ना जाना। तूने ही दाँत किये थे खट्टे,दुश्मन के-अँग्रेजों के, आज बनी मखमली फूल,बिस्तर युवकों … Read more
घर की शोभा नारी
सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… मैंने अकेले रहते हुए, घर में हर सुख सुविधा जुटाई। लेकिन- वो ख़ुशी कभी न पाई , जो माँ,बहिन,बेटी,बहू,भाभी के रहने से होती है। सच पूछो तो घर कितना ही बड़ा हो, पर घर की शोभा नारी ही होती है। आलीशान महल बनाया, सुख-सुविधा … Read more
नसीहत
विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… सरला,महज २० साल की है..पारिवारिक जिम्मेदारियों ने कागज-कलम के स्थान पर झाड़ू पकड़ा दी। चार-पाँच जगह काम करके गुजर-बसर होता है परिवार का। आज सुबह जब अंकल जी अपनी बेटी मेघा को समझा रहे थे,तो बरबस सरला के कान खड़े हो गए। मेघा यही कोई २०-२१ … Read more
संवेदनाओं की महक और प्रहार भी है ‘धूप आँगन की’
विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** ‘धूप आँगन की’ सात खण्ड में विभक्त एक ऐसा गुलदस्ता है,जिसमें साहित्यिक क्षेत्र की विभिन्न विधाओं के फूलों की गंध को एकसाथ महसूस करके आनन्द लिया जा सकता है। भारत की ख्यात लेखिका श्रीमति शशि पुरवार ने इस गुलदस्ते को आकार दिया है,जो हिन्दी साहित्य जगत में सशक्त हस्ताक्षर हैं। इन्दौर … Read more