बलात्कारियों को फाँसी दे दो

सोनू कुमार मिश्रा दरभंगा (बिहार) ************************************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना…………. हे राजमहल के राजवंशी,अब वंशी तान देना बंद करो, खादी के वेष में बैठे रहनुमा,सुरक्षित बेटियों का प्रबन्ध करो। बदल दो पन्ने संविधान के या बदल दो देश का विधान तुम, बदल दो नक्षत्र की दिशाएं या बदल दो संसद का परिधान तुम॥ आँखें उठती जो … Read more

तालीम और सरकार

सोनू कुमार मिश्रा दरभंगा (बिहार) ************************************************************************* हसरतें तालीम की कभी आसान नहीं होती, तालीम बिन मनुज की कोई पहचान नहीं होती। तालीम बिन तकदीर की तस्वीर नहीं बदलती, तालीम हो तो मनुज की कभी पहचान नहीं मिटती। फिर क्यों तालीम को जालिम,जाहिल बनाने चले हैं… गरीबों से तालीम छीनने को फिर से वे अड़े हैं॥ … Read more

मधुर मुलाकात से

सोनू कुमार मिश्रा दरभंगा (बिहार) ************************************************************************* यह दृश्य बड़ा ही अप्रतिम जब मिल गए प्रिया-प्रीतम, सुशोभित हो रही सुचिता हर्षित हो रही यह वसुधा, तुम्हारे मुख की मुदित मुस्कान से प्रिया प्रियतम की मधुर मुलाकात से। हर्षित कोयल राग मिलन के गाये मोर-पपीहा देखो नृत्य दिखाये, हृदय उमंग से होता लक्षित जब प्रीत प्रणय होती … Read more

मेरी माँ सबसे बढ़कर

सोनू कुमार मिश्रा दरभंगा (बिहार) ************************************************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… जननी बन जन्म देकर उसने मुझे यह संसार दिया, दुःख झेला खुद सारा,लेकिन मुझे बहुत प्यार दिया। अमृत जैसे दूध पिलाकर नवजीवन उपहार दिया, मेरे दर्द को लगा सीने से मुझे दर्द का निवार दिया॥ अंगुली पकड़ कर उसने ही मुझे चलना सिखाया, जब भी … Read more

इस शहर में

सोनू कुमार मिश्रा दरभंगा (बिहार) ************************************************************************* रैन में छाया घनघोर अंधेरा,प्रभात लेकर आया कुहासा, दर्द से तड़पते,करवटें बदलते,मन में लिए विकट निराशा छीन हो चुकी थी,दीन हो चुकी थी उसके जीवन की आशा, कहर को झेलते,सफर को देखते,थी चलने की प्रत्याशा। सड़क के किनारे,कराहते-चिल्लाते,तम की तमतमाहट में, सुधाकर,दिवाकर के द्वारा दी गई तपन की कड़वाहट … Read more

नारी तेरे अदभुत रूप

सोनू कुमार मिश्रा दरभंगा (बिहार) ************************************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… नारी तेरे कितने रूप, जग में तू सबसे अनुरूप सती,सीता,सावित्री,स्वरूप, गंगा,गौरी,गायत्री,रूप… नारी तेरे अदभुत रूप। प्रेयसी-प्राणनाथ की तुम प्रिय, विश्व-वैभव,अनुपम-अनुनय दुष्ट-दानव का दमन किये, काली,गार्गी,दुर्गा स्वरूप… नारी तेरे अदभुत रुप। चन्द्रमुखी,चन्द्रबदन,चंचल तन, मृदुल,मधुर,मनमोहक,मन रूप से तेरे गुंजित हुआ गगन, शारदे,शक्ति,लक्ष्मी अनुपम रूप… नारी तेरे … Read more