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मेरी माँ सबसे बढ़कर

सोनू कुमार मिश्रा
दरभंगा (बिहार)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


जननी बन जन्म देकर उसने मुझे यह संसार दिया,
दुःख झेला खुद सारा,लेकिन मुझे बहुत प्यार दिया।
अमृत जैसे दूध पिलाकर नवजीवन उपहार दिया,
मेरे दर्द को लगा सीने से मुझे दर्द का निवार दिया॥

अंगुली पकड़ कर उसने ही मुझे चलना सिखाया,
जब भी रोया पास आकर सिर मेरा उसने सहलाया।
चोट-कचोट मिली जब भी सीने से उसने मुझे लगाया,
खुद कई दिन भूखे रहकर उसने मुझे खाना खिलाया॥

वह ममतामयी-करुणामयी ईश्वर का रूप धारण करके,
वह मंदिरों में जा के मेरे लिए नित पूजा-अर्चना करके।
उसने अपना सब देकर,मुझे पैरों पर चलना सिखाकर,
खुद वह कांटे पे चलती रही मेरे लिए पुष्प बिछाकर॥

वह नित नवीन कष्ट सहती रही बस मेरे लिए,
वह दुःखों का पहाड़ झेलती रही बस मेरे लिए।
उसने अपने सभी स्वप्न को त्यागा बस मेरे लिए,
उसने अपने नयनों में अश्रु दबाए बस मेरे लिए॥

मैं आज हो गया हूँ बड़ा तो क्या हुआ,
मैं अपने लिए जिया तो कहो क्या जिया।
ऋण चुका सकता नहीं उस ममता का,
जिस करुणा से मैं आज मैं इतना आगे हुआ॥

माँ का यह बेटा अर्पण कर दे अपना जीवन सारा,
फिर भी वह कर्ज रहेगा उसका जीवन में अधूरा।
वे लोग भला कैसे लोग हैं जो माँ को छोड़ आते हैं,
अपने से दूर माँ को रख वृद्धाश्रम में,दिल तोड़ आते हैं॥

भूल जाते हैं कैसे उसके उन उपकारों को,
उसके त्याग-समर्पण पुत्र के लिए बलिदान को।
कैसी तरक्की पर बोलो तुम इतरा रहे,
भूल गए क्या तुम आज उस योगदान को॥

कैसी परम्परा भी आज लोग मनाने लगे,
एक दिन ‘मातृ दिवस’ मना प्यार जताने लगे।
माँ के लिए तुम्हारा सब योगदान भी कम है,
रो दी अगर जननी तो सारा जग व्यर्थ है॥

हे आधुनिक मानव तुम तो मानव भी नहीं,
माँ की सेवा में अर्पित करें वह दानव भी नहीं।
पूछता हूँ मैं बस तुम इतना बतला दो,
माँ के बिना तुम क्या ? बस यह समझा दो॥

माँ की खुशियों से बढ़कर जीवन मे कोई हर्ष नहीं,
माँ के अश्रु से बढ़कर जीवन में कोई और विष नहीं।
माँ तेरे चरणों मे ही तो मेरे सभी ईश हैं,
माँ के आँचल में ही तो जगदीश है॥

माँ के बारे में मैं कुछ लिख सकता नहीं,
अपने काव्य में शब्द कोई गढ़ सकता नहीं।
मेरी माँ तो है सभी विधानों से बढ़कर,
मेरी माँ ही तो है मेरे लिए सबसे बढ़कर॥

परिचय-सोनू कुमार मिश्रा की जन्म तारीख १५ फरवरी १९९३ तथा जन्म स्थान दरभंगा(बिहार )है। वर्तमान में ग्राम थलवारा(जिला दरभंगा)में रहते हैं। बिहार राज्य के श्री मिश्रा की शिक्षा -स्नातकोत्तर(हिंदी) है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षक हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाजसेवी हैं। लेखन विधा-कविता है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक चेतना जागृत करना औऱ वर्तमान में मातृभाषा हिन्दी का प्रचार करना है। 

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