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नारी तेरे अदभुत रूप

सोनू कुमार मिश्रा
दरभंगा (बिहार)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………

नारी तेरे कितने रूप,
जग में तू सबसे अनुरूप
सती,सीता,सावित्री,स्वरूप,
गंगा,गौरी,गायत्री,रूप…
नारी तेरे अदभुत रूप।

प्रेयसी-प्राणनाथ की तुम प्रिय,
विश्व-वैभव,अनुपम-अनुनय
दुष्ट-दानव का दमन किये,
काली,गार्गी,दुर्गा स्वरूप…
नारी तेरे अदभुत रुप।

चन्द्रमुखी,चन्द्रबदन,चंचल तन,
मृदुल,मधुर,मनमोहक,मन
रूप से तेरे गुंजित हुआ गगन,
शारदे,शक्ति,लक्ष्मी अनुपम रूप…
नारी तेरे अदभुत रूप।

प्राण,प्रतिष्ठा,पति में शोभित,
आँगन,अमन से हुआ आरेखित
शासक,सैनिक,शिक्षिका स्वरूप,
भार्या,वामा,भगिनी,मातृ रूप…
नारी तेरे अदभुत रूप।

जो नारी करे उत्पीड़न,
दे न नारी को सम्मान
वह मानव भला कहाँ मानव,
वह है दानव दुष्ट रूप…
नारी तेरे अदभुत रूप।

नारी शक्ति और अस्मिता,
जग में सुंदर और सुचिता
नारी ही सृष्टि का दूजा रूप,
तू ही जग का दूजा विश्व स्वरूप।
नारी तेरे अदभुत रूप॥

परिचय-सोनू कुमार मिश्रा की जन्म तारीख १५ फरवरी १९९३ तथा जन्म स्थान दरभंगा(बिहार )है। वर्तमान में ग्राम थलवारा(जिला दरभंगा)में रहते हैं। बिहार राज्य के श्री मिश्रा की शिक्षा -स्नातकोत्तर(हिंदी) है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षक हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाजसेवी हैं। लेखन विधा-कविता है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक चेतना जागृत करना औऱ वर्तमान में मातृभाषा हिन्दी का प्रचार करना है। 

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