बहनों की पद-रज माथ लगाऊं

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* रक्षाबंधन विशेष….. भाई-बहन के प्यार का पर्व जो,वो आया रक्षाबंधन,बहनों की पद-रज माथ लगाऊं,करता मैं अभिनंदनरिश्ता अटूट है हर भाई-बहन का,ज्यों दीपक व बाती,आशीष दो मेरी प्यारी बहना,मेरे माथ लगा दो चंदन। स्नेह,प्रेम,मिष्ठान,उमंग का,आया ये राखी त्योहार,हर बहन को मिलता भाई से,कुछ ना कुछ उपहारमैं क्या दूं बहना ख़ुश हो जाए,मैं … Read more

मेरी अधूरी प्रेम कहानी…

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* तोड़कर दिल मेरा,तू बता क्या मिला ?हुस्न की मल्लिका,रूप तेरा खिला।तू मिलेगी हमें,था यकीं इस क़दर,रब से मांगा तुम्हें,पर मिला बस ग़िला। हम हैं भावुक प्रिये,हो मिलन डट गए,तेरी छवि देख के,दिल से हम सट गए।तेरी मलमल की कुर्ती,ग़ुलाबी चुनर,पुष्प-सी पंखुड़ी,काँटों से फट गए। तेरी हर इक अदा पर,फ़िदा है जिला,छू … Read more

आधुनिक जीवन में विज्ञान

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* विज्ञान जगत ने दिया है हमको नित नव आविष्कार,अब देश-विदेश,गली,बाजारों में समृद्ध हुआ व्यापारमोबाइल,इंटरनेट,कम्प्यूटर,चलचित्र है घर-घर पहुंचा,मनोरंजन,सुख-सुविधा का सपना प्रयत्न से हुआ साकार। प्रिय से प्रिया नित बात करे,बातों मे कटे पूरी रतिया,लैपटॉप में व्यस्त हुए भैया,वो सुने न किसी की बतियादेश की रक्षा में सदा सतर्क,बॉर्डर पर भारतीय जवान,बूढ़ी माँ … Read more

प्रेम की बजने लगी शहनाई

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* निर्दयी ‘कोरोना’ रूप विकट चहुँ दिशि दिखे उत्पात,लॅाकडाउन है दुःख,कृन्दन अब मानव तन पर आघातमैं पूर्व भ्रमण स्मृतियों में डूबा हुआ था आज,हे गिरिधर यशोदा नंदन कर सुख- शांति का प्रभात। भ्रमण को मुझको शौक बड़ा गया था हरिद्वार,मसूरी,रशियन के संग हो छवि मेरी,इच्छा हो गई तब पूरीअंदाज निराला था उसका … Read more

मानव सेवा से सुलभ हो पुण्य

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* मैं हूँ कपड़ों का व्यापारी,व्यापार ही मेरा अब कर्म,हर ग्राहक को समझूं देवतुल्य निज तेवर रखूं नर्मतब क्या खाएगा वो घोड़ा जिसे प्रेम हो घास के संग,पूज्य पिताजी के वचनों से समझा व्यापारिक धर्म। मृदु भाषा,व्यवहार कुशलता व्यापार का है मूलमंत्र,दाल में नमक-सा लाभ मिले तो उन्नत व्यवसाय तंत्रग्राहक को दूँ … Read more

ये कैसी आपदा…!

सुजीत जायसवाल ‘जीत’कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)******************************************* सहम गया हूँ देख कर छवि ये भावुकता से भर देय,काल ‘कोरोना’ के समय हाय रे बिटिया ही कांधा लेय…कण-कण वासी राम जी ये कैसी अब आपदा दीन,एक-एक कर अपने ही अपनों के बिन नौका खेय। माना मृत्यु का रूप विकट है पर ये संताप चरम है,बिन आक्सीजन निकलते प्राण-मृत्यु मेरा … Read more