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आधुनिक जीवन में विज्ञान

सुजीत जायसवाल ‘जीत’
कौशाम्बी-प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
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विज्ञान जगत ने दिया है हमको नित नव आविष्कार,
अब देश-विदेश,गली,बाजारों में समृद्ध हुआ व्यापार
मोबाइल,इंटरनेट,कम्प्यूटर,चलचित्र है घर-घर पहुंचा,
मनोरंजन,सुख-सुविधा का सपना प्रयत्न से हुआ साकार।

प्रिय से प्रिया नित बात करे,बातों मे कटे पूरी रतिया,
लैपटॉप में व्यस्त हुए भैया,वो सुने न किसी की बतिया
देश की रक्षा में सदा सतर्क,बॉर्डर पर भारतीय जवान,
बूढ़ी माँ से पूछे वो वीडियो कॉल पे-कैसा माँ तेरा नतिया ?

हुआ सुलभ काज विज्ञान बदौलत,पर बढ़ गई बेगारी,
हस्तकला वाला करे क्रंदन,निज भाग्य को देता गारी
घंटों का कार्य करे पल भर में,यंत्र-संयंत्र हुआ सक्रिय,
लाभांश मिले पहले से ज्यादा,कर्म से भाग्य सँवारी।

वायु है दूषित,जल भी दूषित,नर जीवन पर आघात,
विषाणु ग्रस्त हुआ मनुष्य,कोरोना का दुःखद प्रभात।
प्रकृति का शोषण करता नर,स्वार्थ में सब हित भूला,
बम परमाणु का आविष्कार दे न्योता मौत की काली रात॥

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