नवरूपा माँ छम-छम आना

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* नवरात्र विशेष…… नौ दुर्गा रूपा नौरात्रा आया,भवन माँ का भव्य सजायाघर-घर जोत जगे मैया की,शेरा वाली,करें जगराता। प्रथम कालरात्री भवानी,आदि शक्ति जग कल्याणीसुख शान्ति वैभव लाए,है माँ कृपा बरसाने वाली। ब्रह्मचारिणी दूजी कहाए,निर्धन को धनवान बनाएखाली झोली वो भर देती,शैल पुत्री माँ शेरा वाली। तृतीया माँ विन्ध्यवासिनी,नैनों में करूणा,हाथों में मेहन्दीचौथे माता … Read more

पल्लवित रिश्ते

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. हो अपनेपन की मिठास,पल्लवित होते हैं रिश्ते,मधुर सौम्य वातावरण में ही,खिलते हैं प्यारे रिश्ते। जहां मधुर हो संबंधों का ताना-बाना,उन परिवारों में रहता है समय सदा सुहाना। आपस में सौहार्द पूर्ण रहते हैं जहां हिल-मिलकर,वो बगिया खिली-खिली,खुशियां रहती है मण-मण भर। खुशी का टॉनिक पाकर रिश्ते भी … Read more

हरा-भरा इक गाँव

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… जैसे सिमट गए जंगल,वैसे ही अपने परिवार।गला घोंटकर रिश्तों का,कर रहे कौन उपकार। किया निरंतर जंगल छोटा,सहनी पड़ी है रे मार।इसी तरह परिवार का,कभी न करना प्रतिकार। परिवार से ही बनता है,व्यक्ति संस्कारवान,परिवार में ही होता है,हर एक चरित्र निर्माण। हिलमिल जो रहते हैं,खुशियाँ झूमें द्वार।सबके मुख मुस्कान खिले,आए … Read more

देखो धरती की दशा

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* आज मनुज की नादानी,किस मोड़ पे हमको ले आईदेखो धरती की दशा,धरा भी अब तो घबराई। मनुज का संतोष,मंजिल कभी ना पाएबस हर दिन दूना-दूना,वो बढ़ता ही जाए। तृष्णा का मृग पाने हेतु,भ्रमित दौड़ता जाएपाप पुण्य की भूला सीमा,मदमस्त हुआ इतराए। नादानियां वो करे जिसकी,क्षमा कभी ना पाए।पृथ्वी अब चीत्कार रही,क्यों नहीं … Read more

फागुन की ऋतु

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… फागुन की ऋतु आई साजन,रुत मस्तानी आई जीरंग अबीर गुलाल उड़े हैं नभ पर,रंग अबीर गुलाल उड़े है नभ पररंगों की पुरवाइ जी,रुत मस्तानी आई जी…फागुन की रुत आई साजन,रुत मस्तानी आईजी…। मन के भावों की सरिता ने,कल-कल नाद सुनाया जीप्रीत में ढलती-पलती घटा ने,प्रीत में … Read more

स्त्री हूँ ना

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… स्त्री हूँ ना मैं,हृदय में अंकित चित्रों कोशब्दों में पिरोना,कहाँ जान पाई हूँ,घुमड़ते भावों के सागर को,सीखा मैंने तो पी जानाभीगी पलकों पर मुस्कुराहट,सजा लेना।बचपन से सुनती आई हूँ,पराए घर जाना हैयह घर तुम्हारा नहीं।तब भी चाहा,प्रश्न पूछूं,उमड़ते प्रश्नों को बरसने दूंसीखा ही नहीं किंतु,प्रतिकार करना।वेदना को आँसूओं … Read more

हिंद देश का हिंद बगीचा

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. हिंदी अपनी शान है,जीवन का मधुर संगीत है,शब्द-शब्द में सरगम गूंजे,बिंदु मधुरम गीत है। शब्दों का मैं करूं बिछौना,भाषा को मैं ओढ़ लूं,वर्ण-वर्ण बन जाए झूला,लेखन डोरी कर लूं। भाषा के उपवन में,पुष्प सदा पल्लवित हों,मुहावरों के पत्ते हों,कहावतों की बेलें हों। हिंद देश का हिंद बगीचा,हरदम … Read more