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नवरूपा माँ छम-छम आना

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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नवरात्र विशेष……

नौ दुर्गा रूपा नौरात्रा आया,
भवन माँ का भव्य सजाया
घर-घर जोत जगे मैया की,
शेरा वाली,करें जगराता।

प्रथम कालरात्री भवानी,
आदि शक्ति जग कल्याणी
सुख शान्ति वैभव लाए,
है माँ कृपा बरसाने वाली।

ब्रह्मचारिणी दूजी कहाए,
निर्धन को धनवान बनाए
खाली झोली वो भर देती,
शैल पुत्री माँ शेरा वाली।

तृतीया माँ विन्ध्यवासिनी,
नैनों में करूणा,हाथों में मेहन्दी
चौथे माता कुष्मांडा आई,
चन्द्र घंटा माँ आदिशक्ति।

पंचम पद माँ स्कंधा माता,
छवि न्यारी रूप सुहाना
कात्यायनी षट दर्शन देती,
भक्तों की भर देती झोली।

सप्तम रूप है काल रात्री माँ,
अष्टम भवानी माँ गौरा रूपा
नवमी सकल काज बनाए,
सिद्धी दात्री वो कहलाए।

नौ निधि रूप धरे माँ गौरा,
मनोरथ सिद्धा शक्ति स्वरूपा
सुख समृद्धि वैभव बरसाए,
मनोयोग से जा कोई ध्याए।

भवसागर पार लगाती,
सब पर कृपा बरसाती।
ऐसी भोली मात भवानी की,
जय-जय शेरा वाली की…॥

परिचय-सुखमिला अग्रवाल का उपनाम ‘भूमिजा’ है। आपका जन्म स्थान जयपुर (राजस्थान) एवं तारीख २१ जुलाई १९६५ है। वर्तमान में मुम्बई स्थित बोरीवली ईस्ट(महाराष्ट्र)में निवास,जबकि स्थाई पता जयपुर ही है। आपको हिंदी,मारवाड़ी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। हिंदी साहित्य व समाज विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ ही संगीत में मध्यमा आदि की शिक्षा प्राप्त की है। नि:शुल्क अभिरुचि कक्षाएं चला कर पढ़ाने के अलावा महिलाओं को जागृत करने के कार्य में भी आप सतत सक्रियता से कार्यरत हैं। लेखन विधा-काव्य (गीत,छंद आदि) एवं लेख,संस्मरण आदि है। १० साँझा संग्रह में इनकी रचनाएँ हैं तो देश के विभिन्न स्थलों से समाचार पत्रों में भी स्थान मिलता रहता है। लगभग २५० सरकारी,गैर सरकारी संस्थाओं से आपको सम्मान व पुरस्कार मिल चुके हैं। ब्लॉग पर भी सक्रियता है,तो विशेष उपलब्धि प्रकाशित रचनाओं पर प्राप्त प्रतिक्रिया से मनोबल बढ़ना व अव्यक्त खुशी मिलना है। सुखमिला अग्रवाल की लेखनी का उद्देश्य-सर्वप्रथम आत्म संतुष्टि तो दूसरा-विलुप्त होती जा रही हमारी संस्कृति से आने वाली पीढ़ी को परिचित करवाना,महिलाओं को जागृत करना तथा उदाहरण प्रस्तुत करना है। इनके पसंदीदा लेखक सभी छायावादी रचनाकार हैं,तो प्रेरणापुंज-आदर्श स्वतंत्रता सेनानी नानी,पिता एवं बड़े भाई हैं।
हिंदी के प्रति विचार-‘हिंदी मेरी माँ है,मित्र है,संरक्षक है,मेरा दिल,दिमाग,आत्मा है।’

 

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