सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
*********************************************
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष….
हिंदी अपनी शान है,जीवन का मधुर संगीत है,
शब्द-शब्द में सरगम गूंजे,बिंदु मधुरम गीत है।
शब्दों का मैं करूं बिछौना,भाषा को मैं ओढ़ लूं,
वर्ण-वर्ण बन जाए झूला,लेखन डोरी कर लूं।
भाषा के उपवन में,पुष्प सदा पल्लवित हों,
मुहावरों के पत्ते हों,कहावतों की बेलें हों।
हिंद देश का हिंद बगीचा,हरदम महके जीवन में,
बोलियों की धूप खिले,सावन भादो हो आँगन में।
हिंदी ने समझा हमको,माँ जैसा ही प्यार किया,
हिंदी ने पाला हमको,हम पर सदा उपकार किया।
हिंदी तेरा ये कर्जा,कभी ना हम चुका पाएंगे,
तेरे आँचल छाँव तले,गर्व से हम इठलाएंगे॥