सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….
हो अपनेपन की मिठास,पल्लवित होते हैं रिश्ते,
मधुर सौम्य वातावरण में ही,खिलते हैं प्यारे रिश्ते।
जहां मधुर हो संबंधों का ताना-बाना,
उन परिवारों में रहता है समय सदा सुहाना।
आपस में सौहार्द पूर्ण रहते हैं जहां हिल-मिलकर,
वो बगिया खिली-खिली,खुशियां रहती है मण-मण भर।
खुशी का टॉनिक पाकर रिश्ते भी मुस्काते हैं,
सदा स्वस्थ रहता है जीवन,चेहरे भी खिल जाते हैं।
दोष दरिद्रता नष्ट सभी हो जाते हैं,
ऐसे घर पितृ दोष मुक्त कहलाते हैं।
बड़े-बुजुर्गों का जहां होता है सदा सम्मान,
अतिथि को जहां माना जाता है भगवान।
घनी-घनी छाँव सदा रहती है सुखों की,
छू नहीं सकता उनको कोई भी व्यवधान।
सौहार्द से धरती माँ मुस्काती है,
सौहार्द का ही निसदिन पाठ हमें पढ़ाती है।
तेरा-मेरा छोड़ सभी को अपना लो,
श्रेष्ठ मनुज जगत में तुम कहलाओ॥
परिचय-सुखमिला अग्रवाल का उपनाम ‘भूमिजा’ है। आपका जन्म स्थान जयपुर (राजस्थान) एवं तारीख २१ जुलाई १९६५ है। वर्तमान में मुम्बई स्थित बोरीवली ईस्ट(महाराष्ट्र)में निवास,जबकि स्थाई पता जयपुर ही है। आपको हिंदी,मारवाड़ी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। हिंदी साहित्य व समाज विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ ही संगीत में मध्यमा आदि की शिक्षा प्राप्त की है। नि:शुल्क अभिरुचि कक्षाएं चला कर पढ़ाने के अलावा महिलाओं को जागृत करने के कार्य में भी आप सतत सक्रियता से कार्यरत हैं। लेखन विधा-काव्य (गीत,छंद आदि) एवं लेख,संस्मरण आदि है। १० साँझा संग्रह में इनकी रचनाएँ हैं तो देश के विभिन्न स्थलों से समाचार पत्रों में भी स्थान मिलता रहता है। लगभग २५० सरकारी,गैर सरकारी संस्थाओं से आपको सम्मान व पुरस्कार मिल चुके हैं। ब्लॉग पर भी सक्रियता है,तो विशेष उपलब्धि प्रकाशित रचनाओं पर प्राप्त प्रतिक्रिया से मनोबल बढ़ना व अव्यक्त खुशी मिलना है। सुखमिला अग्रवाल की लेखनी का उद्देश्य-सर्वप्रथम आत्म संतुष्टि तो दूसरा-विलुप्त होती जा रही हमारी संस्कृति से आने वाली पीढ़ी को परिचित करवाना,महिलाओं को जागृत करना तथा उदाहरण प्रस्तुत करना है। इनके पसंदीदा लेखक सभी छायावादी रचनाकार हैं,तो प्रेरणापुंज-आदर्श स्वतंत्रता सेनानी नानी,पिता एवं बड़े भाई हैं।
हिंदी के प्रति विचार-‘हिंदी मेरी माँ है,मित्र है,संरक्षक है,मेरा दिल,दिमाग,आत्मा है।’