चूं चूं का `मतदान`

सुनील जैन राही पालम गांव(नई दिल्ली) ******************************************************** जैसे गर्मी बढ़ रही है,पार्क में बरसाती मेंढकों की तरह कसरत करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पहले तो बूढ़े कैलोस्ट्राल कम करने के लिए कमरे को कमर बनाने पर तुले थे,अब तो कमर वाले भी कमरा वालों से प्रतियोगिता करने में लगे हैं। चच्चा पसीने … Read more

चूं चूं का चुनावी भूत

सुनील जैन राही पालम गांव(नई दिल्ली) ******************************************************** जवानी में नींद नहीं खुलती और बुढ़ापे नींद आती नहीं। जवानी में जॉगिंग जी का जंजाल लगती है,तो बढ़ापे में जीवन का सार। जवानी में हर काम कर लेंगे की भावना से छोड़ते चले जाते हैं और बुढ़ापे में अभी कर लो कल रहे या नहीं रहें। खैर,इसका मतलब … Read more

बड़े दम का ‘पट्ठा’

सुनील चौरे ‘उपमन्यु’  खंडवा(मध्यप्रदेश) ************************************************ ‘पट्ठा’ याने प्रत्येक काम में दक्ष, जी हाँ,जो हास-परिहास,चतुराई से अपना काम निकलवा ले या फिर अपना काम करवा ले,मेरे ख्याल से उसी का नाम पट्ठा होता है। मुझे याद है,बामन्दा जी दामनदा जी की तारीफ़ कर रहे थे। कह रहे थे-“सभी दूर प्रसिद्ध हो चुका है मेरा पट्ठा।” यानि … Read more