खुद से करो सवाल

सुनीता बिश्नोलिया चित्रकूट(राजस्थान) ****************************************************** धरती पर बादल घिरे,संकट के हैं आज। पीछे संकट के छिपे,कुटिल मानसी काजll जो बोता पाता सदा,बोने वाला आप। खुद ही पीड़ा बाँटकर,मिलता है संतापll कहने को मानव स्वयं,बन बैठा भगवान। पर ईश्वर के कोप से,नहीं बचा इंसानll खेल विधाता खेलता,होकर के नाराजl पीछे संकट के छिपे,कुटिल मानसी काजll मानव होकर … Read more

`हिंदी` हीरे-सी अनमोल

सुनीता बिश्नोलिया चित्रकूट(राजस्थान) ****************************************************** शब्दों की सरिता बहे,बोले मीठे बोल। हिंदी भाषा है रही कानों में रस घोलll पश्चिम के तूफान में,नहीं पड़ी कमजोर, हिंदी शब्दों की लहर,करती रही हिलोर, सोने-सी महँगी बड़ी,हीरे-सी अनमोल- इसे चुरा पाए नहीं,भारत आए चोरl सरस शब्द ही जान है,इनसे है पहचान, हिंदी की गाथा सकल,गाता सदा जहान, नव सृजन,नव … Read more

आया सावन मास

सुनीता बिश्नोलिया चित्रकूट(राजस्थान) ****************************************************** रिमझिम बरखा देखकर,हुआ आज अहसास। धोरां वाले देश में,आया सावन मासll बैठी अब चुपचाप है,नटखट उड़ती धूल। किया नीर का आचमन,खिले हृदय में फूलll बिना पात के ठूंठ की,बुझती दिखी प्यास। धोरां वाले देश में,आया सावन मासll मुस्कराता गोपाल भी,चला खेत की ओर। सावन में चलता रहे,अब बरखा का दौरll खेतों … Read more

शुभ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

हिन्दीभाषा.कॉम मंच के रचनाकार साथी सुनीता सिंह जी का ०४ मई को शुभ जन्मदिन है..इस पटल के माध्यम से आप उनको शुभकामनाएं दे सकते हैं…..

बूँद-बूँद में गुम-सा…

सुनीता रावत  अजमेर(राजस्थान) ************************************************************* बूँद-बूँद में गुम-सा है, ये सावन भी तो तुम-सा है बूँद-बूँद में गुम-सा है, ये सावन भी तो तुम-सा हैl एक अजनबी एहसास है, कुछ है नया,कुछ ख़ास है कुसूर ये सारा मौसम का है, बूँद-बूँद में गुम-सा है ये सावन भी तो तुम-सा हैll चलने दो मनमर्ज़ियाँ, होने दो गुस्ताखियाँ … Read more

करो धरा से प्यार

सुनीता बिश्नोलिया चित्रकूट(राजस्थान) ****************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… कानन-नग-नदियाँ सभी,धरती के श्रृंगार। दोहन इनका कम करें,मानें सब उपहार॥ अचला का मन अचल है,डिगे न छोटी बात। पर मानव का लोभ क्यों,छीन रहा सौगात॥ देख धरा की ये दशा,पीर उठी मन माय। जख्म जिगर में देय के,कोय नहीं सुख पाय॥ हरी-भरी धरती रहे,नीला हो आकाश। … Read more

अंधेरे से नहीं डरती

सुनीता उपाध्याय`असीम` सिकन्दरा(उत्तरप्रदेश) ************************************************************* किसी का दु:ख नहीं मैं दूर कर सकती जहाँ में, गरीबों को गले से मैं लगा लेती हूँ लेकिन। कभी भी मोह-माया पर भटकता ध्यान है तो, वहाँ से ध्यान अपना मैं हटा लेती हूँ लेकिन। छिपाने की सुनूँ मैं बात कोई जो किसी से, तभी से पेट में उसको पचा … Read more

बसंती हवा

सुनीता बिश्नोलिया चित्रकूट(राजस्थान) ****************************************************** इठलाती-मुस्काती गाती,बिन सरगम के गीत, चली बसंती हवा ढूंढने,अपने मन का मीत। तरु की हर डाली छूकर,बागों में चले मचलती, सांय-सांय के सुर में गा,बासंती रंग बिखराती। कोमल-पर्ण फुल्लित पुष्पों से,सजा तरु का गात, हरी-भरी वसुधा पर होती,रंगों की बरसात। पवन बसंती चली खेत में,फूल रही हर क्यारी, सरस रहे खेतों … Read more