जैसा बोया,वैसा ही पाओगे तुम

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* ‘माँ’ का दिन मनाने चले, माँ को वृध्दावस्था में वृध्दाश्रम रख आए। आज माँ की याद आयी, दिखावे का मुखड़ा लगाकर आज माँ पर हजार गीत लिखने चले। माँ शब्द का अर्थ न जाना, माँ पर शब्दों के फूल बरसाने चले। माँ का रो-रो कर बुरा हाल, राह तकते-तकते हो … Read more

मेरा बावरा क्यूँ है काला ?

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* वसुधा ने पूछा कान्हा से,- मेरा बावरा क्यूँ है काला ? बोल दे हे! मेरे गोपाल रे, कान्हा ने मुस्कुराते बोला- सुन रे पगली मेरी वसुधा, जब मैं धरा पर आया तो रजनी ने अपना आँचल, मुझ पर ओढ़ा दिया। इसलिए मेरा रंग काला रे…॥ वसुधा ने पूछा कान्हा से,- … Read more

मेरे पापा

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* मेरे पापा सबसे निराले, मुझे लगे वे बड़े प्यारे जब-जब मैं हँसती, तब-तब वे बड़े आनंदित रहते। जब-जब मैं रोती, वे भी छिप छिपकर रोते उन्हें रोते देख मैं चुप हो जाती, अपने नन्हें करकमलों से उनके आँसू पोंछ उन्हें चुप कराती। पापा मेरे रोज मुझे निवाला, मेरे मुँह में … Read more

माँ ने कहा..

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* माँ ने कहा- देख हमारे ख्याल अलग, तुम्हारे ख्याल अलग बेटीl हम साड़ी पहनते थे, सलवार भी पहनते थे हम अब्रू… के साथ-साथ, कड़ी धूप में और बड़ी बारिश में, तुम्हें अपने आँचल में छिपा लेते थेl अब तुम ही बताओ, इस बदलती दुनिया में गर कल को तुम, आने … Read more

माँ होती ही है प्यारी

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* माँ मेरी बैरागी, क्यूँ लोग कहें संसारी! त्याग दिया उसने, अपना बाबुल। त्यागा अपना अभिमान, सिर्फ दूसरों के लिए जीना उसका, सारी जिंदगी। कर्मठता से, काम करती रही कभी किसी से उसने आस न की। मरते दम तक, स्वभिमान से जीती रही। कभी भूखी, कभी प्यासी तो कभी नंगे पाँव, … Read more

मेरे अपने ऐसे हों…

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* मेरे अपने ऐसे हों,श्रीराम कृष्ण जैसे, जो मैं माँगू वह मुझे दे दे… जो मैं चाहूँ वो मैं पाऊँ। मेरे अपने ऐसे हों,सूर्य-चंद्र जैसे, मेरे जीवन में सूर्य जैसी रोशनी दें… मेरे जीवन में चंद्र जैसी शीतल छाया दें। मेरे अपने ऐसे हों,नभ में नक्षत्र जैसे, मेरे जीवन में खुशियाँ … Read more

‘माँ’ कहाँ क्या करती है!

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* माँ कहाँ क्या करती है,बस चूल्हा-चक्की करके बस एक घर ही तो संभालती है। वो कहाँ क्या करती है…! हम सब जानते हैं माँ की अहमियत को, फिर भी हम माँ से बात बात पर कह देते हैं। माँ तुमने कहाँ क्या किया,तुम बस चूल्हा-चक्की करना,कपड़े धोना,बरतन मांजना, झाडू लगाना,नाश्ता-खाना … Read more

आदमी बाँटता है झूठ

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* आदमी बाँटता है झूठ, झूठे उसके वादे झूठा उसका दिलासा, झूठा उसका प्यारl झूठा एहसास, झूठ से भरा दिल कभी सच को, छिपाने के लिए झूठ कभी झूठ, छिपाने के लिए झूठl कभी खुद की, सच्चाई छिपाने के लिए सफेद झूठ, तो कभी झूठ को सच ठहराने के लिए, कड़वा … Read more

रुदन

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* आज १५ अगस्त का दिन,आज भारत को आजादी मिली थी,पर आज का १५ अगस्त कुछ अलग-सा था,क्योंकि केन्द्र सरकार ने धारा ३७० को हटा दिया था और सही मायने में पूरी आजादी मिली। उत्तर भारत तो दुल्हन की तरह सज गया था,पर भारत के दक्षिण भाग में प्रकृति ने अपना … Read more

एक ही माँ के हम बच्चे

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… साल-साल,हर साल, लाता है मस्त-मस्त बहार गणतंत्र दिवस है आज, पहना है माता ने नया परिधान। भीड़ बड़ी रंग-बिरंगे, परिधानों की लगी है उन्हें देख आज माता, फूलों की तरह मुस्कुरा रही है। आज वसुंधरा भी खिल उठी है, केसरी-सफेद-हरी साड़ी पहनकर हाथ में धरे अशोक … Read more