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आदमी बाँटता है झूठ

डॉ. वसुधा कामत
बैलहोंगल(कर्नाटक)
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आदमी बाँटता है झूठ,
झूठे उसके वादे
झूठा उसका दिलासा,
झूठा उसका प्यारl
झूठा एहसास,
झूठ से भरा दिल
कभी सच को,
छिपाने के लिए झूठ
कभी झूठ,
छिपाने के लिए झूठl
कभी खुद की,
सच्चाई छिपाने के लिए
सफेद झूठ,
तो कभी झूठ को
सच ठहराने के लिए,
कड़वा झूठl
बस आदमी हमेशा,
कभी ऐसे तो
कभी वैसे,
झूठ ही झूठ बाँटता हैl
और,
झूठी आन-बान-शान के लिए
खुद ही गिर जाता है,
बस आदमी
अपने स्वार्थ के लिए,
अपने अहंकार के लिए
अपने अभिमान के लिए
झूठा स्वाभिमान,
बाँटता ही रहता हैl
आदमी हमेशा,
झूठ ही बाँटता रहता हैll

परिचय-डॉ. वसुधा कामत की जन्म तारीख २ अक्टूबर १९७५ एवं स्थान दांडेली है। वर्तमान में कर्नाटक के जिला बेलगाम स्थित बैलहोंगल में आपका बसेरा है। हिंदी,मराठी,कन्नड़ एवं अंग्रेज़ी सहित कोंकणी भाषा का भी ज्ञान रखने वाली डॉ. कामत की पूर्ण शिक्षा-बी.कॉम, कम्प्यूटर (आईटीआई) सहित एम.फिल. एवं पी-एच.डी. है। इनका कार्य क्षेत्र सह शिक्षिका एवं एन.सी.सी. अधिकारी का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत समाज में जारी गतिविधियों में भाग लेना है। इनकी लेखन विधा-कविता,आलेख,लघु कहानी आदि है। प्रकाशन में ‘कुछ पल कान्हा के संग’ है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में मुक्त भाव की कई रचनाएँ आ चुकी हैं। डॉ. कामत को भगवान बुध्द फैलोशिप पुरस्कार सहित ज्ञानोदय साहित्य पुरस्कार,रचना प्रतिभा सम्मान,शतकवीर सम्मान तथा काव्य चेतना सम्मान आदि मिल चुके हैं। इनके अनुसार डॉ. सुनील परीट का मार्गदर्शक होना विशेष उपलब्धि है। लेखनी का उद्देश्य-पाठकों को प्रेरणा देना और आत्म संतुष्टि पाना है। हिंदी के कई मंचों पर हिंदी का ही लेखन करने में सक्रिय डॉ. वसुधा कामत के लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-कबीर दास जी एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज-डॉ. परीट,संत कबीर दास,मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा,तुलसीदास जी एवं अटल जी हैं। आपकी विशेषज्ञता-मुक्त भाव से लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमें बहुत अभिमान है। हिंदी हमारी जान है। हमारे राष्ट्र को अखंडता में रखना अति आवश्यक है। हिंदी भाषा ही सभी प्रांतों को जोड़ सकती है,क्योंकि यह एकदम सरल भाषा है।

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