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आस्था और अंधविश्वास में जमीन-आसमान का अन्तर

रोहित मिश्र
प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)
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हमारा भारतवर्ष एक धार्मिक देश के रुप में विख्यात है। हमारे देश के हर धर्म में आस्थावानों की कमी नहीं है। जिन लोगों का भारतीय संस्कृति से लगाव नहीं है,या फिर ये कहा जाए कि जिन पर पश्चिमी सभ्यता का अधिक प्रभाव है,उनका मानना है कि भारतीय अंधविश्वासी हैं।
आस्था को अंधविश्वास और अंधविश्वास को आस्था समझना यह हमारे लिए ही नहीं,बल्कि संम्पूर्ण समाज के लिए घातक है। आस्था और अंधविश्वास में अंतर को समझना बहुत ही आवश्यक है।
जैसे उदाहरण स्वरूप-एक वर्ग का मानना है कि मंदिरों में दूध चढ़ाना अंधविश्वास है,जबकि, आस्थावानों का मानना है कि इसके वैज्ञानिक तर्क हैं। भारतीय समाज में सावन के महीने में शिव जी की प्रतिमा और शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की मान्यता है। सावन के महीने में बारिश होती है, जिससे मैदान आदि पर घास-फूस आदि उग आते हैं। कर्ई जगह पानी इकठ्ठा हो जाता है,और उन घास-फूस में कर्ई कीड़े लग जाते हैं,जिसे जानवर घास के साथ खा जाते हैं। यानि विषैले पदार्थ उनके शरीर में चले जाते हैं,उनके दूध में मिल जाते हैं। इसी कारण मान्यता है कि बारिश के मौसम में दूध और हरी सब्जियों से परहेज करना चाहिए। भारतीय संस्कृति में मान्यता है कि,भगवान शिव विष को पीकर सृष्टि की रक्षा करते है। इसी कारण सावन में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की मान्यता है।
अब बात अंधविश्वास की,तो अंधविश्वास आस्था के बिल्कुल विपरीत होता है। अंधविश्वास उसे कहते हैं,जिसका कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं होता। जैसे फलां ताबीज पहनने से मनचाहा ब्याह हो जाएगा, सरकारी नौकरी लग जाएगी। इसका कोई तर्क नहीं होता है। जादू,टोना,झाड़-फूंक ये किसी भी धर्म के अंग नहीं हैं,जिन्हें आस्था का विषय कहा जाए। अंधविश्वास को आस्था का विषय बताकर उसे प्रमाणिकता देने का प्रयास किया जाता रहा है।
जब कोई बड़ा नेता किसी पंडित के पास हाथ दिखाने जाता है,तो ये मीडिया उसे अंधविश्वासी बताती है,पर यही मीडिया जब सुबह-सुबह ग्रह, नक्षत्र,राशि का कार्यक्रम चलाती है,तब अपने-आपको अंधविश्वासी नहीं बताती है। तब ये खुद अंधविश्वास के प्रचारक बन जाते हैं।
कहने का आशय यह है कि आस्था और अंधविश्वास में जमीन-आसमान का अंतर है। आस्था वो है जो वेद,उपनिषद आदि धर्मग्रंथों में वर्णित है। अंधविश्वास वो है जिसका धार्मिक ग्रंथों से बिल्कुल लेना नहीं है। ये सिर्फ मुठ्ठीभर लोगों की मान्यताओं पर आधारित है।

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