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स्वार्थ से टूट रहे परिवार

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
लखीमपुर खीरी(उप्र)
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बदल गई संकल्पना,रूठ गया ‘शिव’ प्यार।
एकल जब से हो गये,अपने घर परिवार॥

संस्कार और सभ्यता,गई घरों से रूठ।
कौटुंबिक तरुवर हुआ,मानो कोई ठूँठ॥

सम्बन्धों में आजकल,नहीं रह गया प्यार।
कलह कपट अरु स्वार्थ से,टूट रहे परिवार॥

संस्कार और मूल्य का,उद्गम है परिवार।
भावों की सुरसरि बहे,बरसे स्नेह अपार॥

‘शिव’ संबंधों में कहाँ,दिखता निश्छल प्यार।
वैमनस्य की आग में,जलते घर-परिवार॥

होती रहती रात-दिन,’शिव’ केवल तकरार।
स्वार्थपरक व्यवहार से,टूटे घर-परिवार॥

बाबा-दादी माँ-पिता,’शिव’ कुटुम्ब आधार।
चाचा ताऊ अरु बुआ,अनुशासित श्रृंगार॥

होता है माँ-बाप का,जहां खूब सम्मान।
बहती सुरसरि प्रेम की,घर वह स्वर्ग समान॥

परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर खीरी निवासी शिवेन्द्र मिश्र ने परास्नातक (हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य) तथा शिक्षा निष्णात् (एम.एड.)की पढ़ाई की है,इसलिए कार्यक्षेत्र-अध्यापक(निजी विद्यालय)का है। आपकी लेखन विधा-मुक्तक,दोहा व कुंडलिया है। इनकी रचनाएँ ५ सांझा संकलन(काव्य दर्पण,ज्ञान का प्रतीक व नई काव्यधारा आदि) में प्रकाशित हुई है। इसी तरह दैनिक समाचार पत्र व विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विशिष्ट रचना सम्मान,श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान विशेष रुप से मिले हैं। श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा की सेवा करना है। आप पसंदीदा हिन्दी लेखक कुंडलियाकार श्री ठकुरैला व कुमार विश्वास को मानते हैं,जबकि कई श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ कर सीखने का प्रयास करते हैं। विशेषज्ञता-दोहा और कुंडलिया केA अल्प ज्ञान की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार (दोहा)-
‘हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥’

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