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बचा लो पुरूषत्व का नाम

ममता बैरागी
धार(मध्यप्रदेश)

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बन कर बेटी जन्म लिया,
क्या गुनाह कर लिया।
जिंदगी मुझसे रही,
औरों को मैंने जीवन दिया।

फिर क्यों समाज नहीं लेता,
मुझको जीने नहीं देता।
हर वक्त मार देता है,
या गलत कुछ करता है।

फूलों-सी कोमल प्यारी मैं,
मुझे मसलने बेताब होता।
क्यों ऐसा जुल्म ढाकर भी,
यह ऊंचा सर रखता है।

नारियों की लाज लेकर,
सीना ताने घूमता है।
क्या मैं कोई गुड़िया हूँ!
या शराब का प्याला हूँ…?

एकदम वहशी बनकर
पूरा लूट लेता है।
और समाज के लोगों तुम,
क्यों चुप्पी साधे रहते हो ?

हर घर की बालाओं को,
तिल-तिल मारता देखते हो।
बना दो अब तो एसा कानून,
आँखों से निकल आये उनके अश्रु।

जुल्म करना तो दूर रहा,
स्वप्न में भी यह ना हो।
उठा लो आज शपथ दिल से,
बचा लो पुरूषत्व का नाम
क्यों नहीं मर्द हो तुम इसे बदनाम।

एक अलख जगाकर रख दो,
आज की सभी पीढ़ी मिलकर।
हर माँ-बहनें हँसती मिलेगी,
और कलियां खिलती रहेंगी॥

परिचय–ममता बैरागी का निवास मध्यप्रदेश के धार जिले में है। आपकी जन्‍म तारीख ९ अप्रैल १९७० है। श्रीमती बैरागी को हिन्‍दी भाषा का ज्ञान है। एम.ए.(हिन्‍दी) एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त करके कार्य क्षेत्र-शिक्षण(सहायक शिक्षक ) को बनाया हुआ है। सामाजिक गतिविधि-लेखन से जागरूक करती हैं। संग्रह(पुस्‍तक)में आपके नाम-स्‍कूल चलें हम,बालिका शिक्षा समाज,आरंभिक शिक्षा और पतझड़ के फूल आदि हैं। लेखनी का उदेश्‍य-समाज में जागरूकता लाना है। आपके लिए प्रेरणापुंज- पिता तथा भाई हैं। आपकी रुचि लेखन में है।

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