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‘चलायमान’ पर आया ‘विद्यालय…’

नवेन्दु उन्मेष
राँची (झारखंड)

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उस दिन मुझसे बेटी ने कहा-“पापा घर में आप बनियान में इधर-उधर न घूमा करें, क्योंकि मोबाइल (चलायमान) पर अब विद्यालय घर पर आ गया है। कल मोबाइल पर मिस मुझे पढ़ा रही थी तब आप बनियान में मेरे पीछे घूम रहे थे। यह दृश्य देखकर मिस शरमा गयी थीं और मुझसे पूछा था कि तुम्हारे घर में कैसा बदतमीज नौकर है,जो बनियान में बेधड़क इधर-उधर घूमा करता है। तब मैंने मिस से कहा कि ये मेरे घर का नौकर नहीं,बल्कि मेरे पापा हैं जो घर पर हाफ पैंट-बनियान में घूमा करते हैं।”
बेटी की बातों को सुनकर मैं सकते में आ गया और खुद में सुधार लाने की कोशिश करने लगा। बाद में सोचा कि यह सच है कि अब विद्यालय,चलायमान की सवारी करके घर तक आ पहुंचा है। इसलिए मुझे भी उसके कायदे-कानून का ख्याल रखना चाहिए।
मुझे याद है कि एक बार गलती से बेटी मेरा चलायमान अपने बैग में लेकर विद्यालय चली गयी थी तो इसी मिस ने मुझे बुलाकर कहा था कि आपको शर्म नहीं आती कि आप बच्ची को मोबाइल के साथ विद्यालय भेज देते हैं। तब मैंने बेटी की गलती का अहसास करते हुए उनसे क्षमा मांग ली थी। इसके बाद बेटी को चलायमान देना बंद कर दिया था, लेकिन जैसे ही ‘कोरोना’ युग शुरू हुआ तब उसी विद्यालय के प्राचार्य ने मुझे फोन करके कहा-“आप बच्ची को मोबाइल दिया करें, क्योंकि अब बच्चियों को मोबाइल पर ही पढ़ाया जा रहा है।” इसके बाद सोचा कि विद्यालयों के भी सिद्धांत समय के साथ-साथ बदलते रहते हैं। कल तक जो विद्यालय बच्चों को चलायमान देने से मना कर रहे थे,अब वे अभिभावकों को उन्हें देने की सलाह दे रहे हैं।
यह सब देख-सुनकर मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि आने वाले दिनों में ‘मोबाइल स्कूल’ भी खुलेंगे। तब बच्चे विद्यालय नहीं जाएंगे और मोबाइल पर ही पढ़ाई करके ऊंची उपाधियाँ हासिल करेंगे। जब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने चरवाहा विद्यालय,पहलवान विद्यालय खोला था।
मैंने कहा-“तुम ठीक कहती हो। अब जबकि गूगल और चलायमान ही दुनिया के ज्ञान गुरु हो गए हैं तो कुछ भी संभव है। अब तो चलायमान पर विवाह भी हो रहा है। चलायमान पर अदालतें लगाई जा रही हैं। जज से लेकर वकील और मुवक्किल तक मोबाइल अदालत में मौजूद रहते हैं।” मैंने कहा-“सभी प्रकार की दुकानें चलायमान पर खुल गयी हैं। यहां तक कि विश्वविद्यालयों द्वारा वेबिनार का आयोजन किया रहा है। एक समय ऐसा भी आएगा,जब सरकार को चलायमान विश्वविद्यालय और चलायमान विद्यालय खोलने पड़ेंगे। तब ऐसे विवि के कुलपति को मोबाइल कुलपति,मोबाइल प्राध्यापक,मोबाइल शिक्षक,मोबाइल प्राचार्य के नाम से जाना जाएगा…।

परिचय-रांची(झारखंड) में निवासरत नवेन्दु उन्मेष पेशे से वरिष्ठ पत्रकार हैंl आप दैनिक अखबार में कार्यरत हैंl

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