कुल पृष्ठ दर्शन : 152

स्वारथमय अब दिख रहे,सारे ही सम्बन्ध-प्रो. खरे

ऑनलाइन कवि गोष्ठी कराई संस्कार भारती ने

 

मंडला(मप्र)।

संस्कार भारती(उज्जैन) महानगर साहित्य विधा द्वारा सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी की स्मृति में ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि पूर्व नामांकित पार्षद तथा सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. विमल गर्ग रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध रंगकर्मी सतीश दवे ने की। गोष्ठी में सुविख्यात साहित्यकार प्रो.शरद नारायण खरे के सामयिक दोहे- स्वारथमय अब दिख रहे,सारे ही सम्बन्ध.. बेहद सराहे गए।
गोष्ठी में सुप्रसिद्ध रंगकर्मी सतीश दवे ने इस प्रकार के आयोजनों को वर्तमान की आवश्यकता तथा अनिवार्यता बताया। विशेष अतिथि संस्कार भारती मालवा प्रांत के महामंत्री संगठन रितेश पवार ने इस प्रकार के आयोजन को करने हेतु बधाई दी तथा सभी कवियों को इस अवसर को चुनौती के रूप में स्वीकार करने का आह्वान किया।
कवि गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ी, जिनमें ‘मैं मजबूर हूँ क्योंकि मैं मजदूर हूँ’ रचना का पाठ विनोद काबरा ने किया। ‘अँधेरे में झांककर देखा वहां भी उजाले निकले…’ रचना का पाठ ओ पी शर्मा ने किया।
मंडला में शासकीय महिला महाविद्यालय में प्राचार्य व साहित्यकार प्रो.शरद नारायण खरे के सामयिक दोहे बेहद सराहे गए-“नहीं शेष संवेदना,रोते हैं सब भाव। अपने ही देने लगे,अब तो खुलकर घाव॥ तोड़ रहे निज लाभ को,लोग यहां अनुबंध। स्वारथमय अब दिख रहे,सारे ही सम्बन्ध॥ दुनिया कैसी हो गई,कैसे हैं अब लोग। पूजा से सब दूर हैं,चाहें केवल भोग॥’
प्रो. शरद नारायण खरे के जीवंत काव्य पाठ के बाद दिलीप जोशी,संजय शर्मा, विजय सिंह पवार सहित छाया लोखंडे,श्रीमती शीला तोमर,अनुष्का काबरा,विजय शर्मा इत्यादि ने भी रचना पाठ किया। संचालन दुर्गेश सूर्यवंशी ने किया। आभार गोष्ठी संयोजक आचार्य शैलेंद्र वर्मा ने माना।

Leave a Reply