कुल पृष्ठ दर्शन : 375

You are currently viewing तब ही माँ के दर्द को जाना

तब ही माँ के दर्द को जाना

रेणू अग्रवाल
हैदराबाद(तेलंगाना)
************************************

जब मैं ख़ुद माँ बनी,
तब ही माँ के दर्द को जाना
सही मायने में मैंने जब,
माँ के मर्म को था पहचाना।

जान की बाज़ी लगाकर,
जो शिशु को जन्म है देती
धन्य है वो सब माँएं,
जो सृष्टि को क्रम है देती।

माँ बिन घर,घर नहीं होता है,
माँ बिन दर,दर नहीं होता है
माँ वंदनवार चौखट की,
माँ बिन सही गुज़र नहीं होता है।

जाग सबेरे जो,पूजा करे,
नित सबके लिए दुआ करे
रखो कुनबे को सलामत,
हर दफ़ा ये जो आरजू करे।

फुर्ती से जो रसोई में है जाती,
सबको पहले खाना ख़िलाती
वो माँ अन्नपूर्णा है हमारी,
जो बच्चों को है आगे बढ़ाती।

माँ बिन बच्चों की क़दर नहीं होती है,
जिन बच्चों की माँ अगर नहीं होती है
देखा माँ की गोद में दूसरा बच्चा,
ये देख बच्ची रो देती है।

जब बहन के बेटे को गोद लिया,
बेटे ने उस बच्चे को झटक दिया
माँ पर एकाधिकार मेरा है,
ये बेटे ने जता सबको दिया।

कई बार ख़ुद फ़ना होकर के,
माँ ने स्वयं को खोकर के
नए जीवन को धरती पे लाया है,
तभी माँ ममता की छाया है।

जो ख़ुद का कभी नहीं सोंचे,
दिल भरा तो तन्हा ही रो-रोके
अपने सारे फ़र्ज जो पूरे करती,
निर्वहन माँ ज़िम्मेदारी करती।

मेहमान आए तो माँ ख़ुश होती,
ख़ुशी-ख़ुशी अकेले काम करती।
नए-नए तब पकवान बनाती,
कभी-कभी ख़ुद भूखी रह जाती।

बर्तन माँजे,कपड़े धोए,
झाड़ू दे,आँगन भी धोए
सुंदर-सी रंगोली बनाकर,
ख़ुशहाली माँ घर में बोए।

बच्चों को जब देर हो जाती,
माँ की छाती फट जाती
जब बच्चा घर पे आ जाता,
तभी माँ को सुकून है आता।

टकटकी लगाकर द्वार देखती,
थाली सजाकर जो है रख देती
आज क्यों माँ की कदर नहीं है,
जवान बेटों को फ़िकर नहीं है।

आज माँ बिलखती अकेली,
न संग कोई न ही सहेली
जवान थी तब घर को संभाला,
व्रुद्धाश्रम में तड़पे छबीली।

धिक्कार है ऐसे बेटों को,
जो माँ की कद्र नहीं करते
अपनी बीवी के सामने ही,
जो माँ को डाँटते गुस्सा करते।

माँ से रौनक़ है घर-घर में,
माँ से रौशनी है दर-दर में।
माँ ख़ुद में एक संसार बसाए,
माँ के लिए कृष्ण आँसू बहाए।

राम जब वनवास गए तो,
कैकई जार-जार रोती है।
लोग कहते हैं सौतेली थी,
सच ये है माँ तो बस माँ होती है॥

परिचय-रेणू अग्रवाल की जन्म तारीख ८ अक्टूबर १९६३ तथा जन्म स्थान-हैदराबाद है। रेणू अग्रवाल का निवास वर्तमान में हैदराबाद(तेलंगाना)में है। इनका स्थाई पता भी यही है। तेलंगाना राज्य की वासी रेणू जी की शिक्षा-इंटर है। कार्यक्षेत्र में आप गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज में शाखा की अध्यक्ष रही हैं। लेखन विधा-काव्य(कविता,गीत,ग़ज़ल आदि) है। आपको हिंदी,तेलुगु एवं इंग्लिश भाषा का ज्ञान है। प्रकाशन के नाम पर काव्य संग्रह-सिसकते एहसास(२००९) और लफ़्ज़ों में ज़िन्दगी(२०१६)है। रचनाओं का प्रकाशन कई पत्र-पत्रिकाओं में ज़ारी है। आपको प्राप्त सम्मान में सर्वश्रेष्ठ कवियित्री,स्मृति चिन्ह,१२ सम्मान-पत्र और लघु कथा में प्रथम सम्मान-पत्र है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-गुरुजी से उज्जैन में सम्मान,कवि सम्मेलन करना और स्वागत कर आशीर्वाद मिलना है। रेणू जी की लेखनी का उद्देश्य-कोई रचना पढ़कर अपने ग़म दो मिनट के लिये भी भूल जाए और उसके चेहरे पर मुस्कान लाना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-हर हाल में खुशी है। विशेषज्ञता-सफ़ल माँ और कवियित्री होना है,जबकि रुचि-सबसे अधिक बस लिखना एवं पुरानी फिल्में देखना है।

Leave a Reply