कुल पृष्ठ दर्शन : 363

You are currently viewing ऐ जीवन कहाँ है तू!

ऐ जीवन कहाँ है तू!

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
******************************************

मन में जीने की आस लिए
अरु एक अटल विश्वास लिए।
कैसे पहुंच मैं जहां है तू,
बता ऐ जीवन कहां है तू॥

क्या फूलों में खारों में है,
क्या नदियों के धारों में है।
मैं हार गया चलते-चलते,
बता ऐ जीवन कहां है तू…॥

अब ढूंढूं कहां बता तुमको,
कोई भी नहीं मिला मुझको।
अपनों में या गैरों में तू,
बता ऐ जीवन कहां है तू…॥

सोचा था यह जग अपना है,
खोजा तो पाया सपना है।
फिर रहा खोजता हूँ हरसू,
बता ऐ जीवन कहां है तू…॥

सबकी सेवा करने में है,
या पर हित में मरने में है।
वही जगह बता जहां है तू,
बता ऐ जीवन कहां है तू…॥

रिश्तों में है या नातों में,
या प्यार भरी बरसातों में।
तुमको पाने को तरस रहा,
बता ऐ जीवन कहां है तू…॥

मैं हार गया तकते-तकते,
आवाज गई झकते-झकते।
हर रोज खोजने मैं निकलूँ,
बता ऐ जीवन कहां है तू…॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

Leave a Reply