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अब राह दिखाए कौन…?

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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मुश्किल में मैं पड़ा हे माधव!
बोलूँ या रहूँ मैं मौन,
मझधार में पड़ी मेरी धर्म की नैया-
अब पार लगाए कौन…?

तुम बिन मेरा ना कोई माधव!
खुद ना जानूँ मैं हूँ कौन,
सभी यहाँ मायूस पड़े हैं-
अब हँसे-हँसाए कौन…?

जीवन लगता जंजाल है माधव!
इससे मुक्ति दिलाए कौन,
धर्म-अधर्म सब उलझ गए हैं-
अब इन्हें सुलझाए कौन…?

कहे उमेश तुम सुनो हे माधव!
मार्ग दिखा दो सही हो जौन(जो),
मैं ठहरा नादान मुसाफिर-
अब राह दिखाए कौन…?

उमेश की रख लो लाज हे माधव!
ज्ञान की बहा दो पौन(पवन)l
ज्ञान बिना मैं दर-दर भटकूँ-
तुझ बिन राह दिखाए कौन…??

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं।अलकनंदा साहित्य सम्मान,गुलमोहर साहित्य सम्मान आदि प्राप्त करने वाले श्री यादव की पुस्तक ‘नकली मुस्कान'(कविता एवं कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। इनकी प्रसिद्ध कृतियों में -नकली मुस्कान,बरगद बाबा,नया बरगद बूढ़े साधु बाबा,हम तो शिक्षक हैं जी और गर्मी आई है आदि प्रमुख (पद्य एवं गद्य)हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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