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कार्य-भार

मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)

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‘कल से ‘कोरोना’ के चलते सभी लोग घर पर हों तो सभी के खाने की फरमाइशें अलग-अलग..ऊपर से दोनों कामवाली बाईयां छुट्टी पर। ओ-हो…! कल से क्या होगा मेरा! कैसे करूंगी इतना काम…?’ यही सोच-सोच रवीना का मन अत्यंत व्यथित हो रहा था।
प्रतिदिन की तरह अगली सुबह भी आ गई और देखते ही देखते शाम भी। और शाम रवीना की आँखों में आँसूओं की अविरल धारा,लेकिन खुशी के क्योंकि ऐसा सुखद एहसास उसे पहले कभी नहीं हुआ। सारे काम सहजता से पूर्ण हो गए। कारण, बस इतना था सुबह उठते ही बिना किसी झिझक के हर सदस्य ने घर के कामों में अपनी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभाई।

परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।