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सुन लो मेरी प्रार्थना…

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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मंदिर मस्जिद और,
गुरुद्वारा में गए।
श्रध्दा से सिर को,
झुकाया वहां पर।
और की प्रार्थना,
सामने उनके बैठकर।
हे प्रभु सुन लो,
अरज मेरी तुम।
और दे दो वरदान,
अमन-चैन से रहने का।
ताकि खुश रह सकें,
अब देशवासी जन॥

कितनी बेचैनी मची है,
लोगों के परिवार में।
डर का माहौल है,
अपने ही समाज में।
और सूने पड़े हैं,
शहर के गली-मोहल्ले।
मिलने-जुलने का समय,
अब निकला जा रहा है।
दूरभाष से ही हालचाल,
अब पूछे जा रहे हैं।
और सामाजिक संस्कृति का,
अब अंत-सा हो रहा है॥

सारे संबंध अब,
छूटे जा रहे हैं।
काम-काज का भी,
अब अंत-सा हो रहा है।
आर्थिक तंगी भी अब,
सामने आन पड़ी है।
घर के कर्ताधर्ता सब,
हाथ पे हाथ धरे हैं।
घर की सब गृहिणी,
अब परेशान हो रही है।
कैसे मिलेगा हम सबको,
इस महामारी से छुटकारा॥

‘संजय’ करता है प्रार्थना,
उस पालनहार से।
कुछ तो करो समाधान,
जिससे मिले शांति विश्व को।
इसलिए अपने चरणों में,
दे दो हमें जगह तुम॥

परिचय–संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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