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बचपन मुरझाने न दें हम…

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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बचपन मुरझाने न दें हम अब,
यह ग़म न फैलने दें हम अब
मुरझाया बचपन एक संसार गया,
जीवन का समग्र अब विकास गया।

रेहड़ी ठेला पटरी रिक्शा का,
बहुत यहां संस्कार मिला
बचपन की खुशियां अब लुटी,
जन्नत-सा संसार गया।

बचपन का संस्कार है खूब पढ़ना,
ग़रीबी ने एक कठोर प्रहार किया
ग़रीबी की दुष्ट उच्छ्रंखलता ने,
स्कूलों का बहिष्कार किया।

शिक्षा कानून हैं आज़ अग्रसर,
नहीं मिला यह उत्तम अवसर
सरकारी प्रपंच है यहां खूब मुखर,
फिर भी नहीं हो रहा यहां ज्ञान प्रखर।

शिक्षा यहां अत्यन्त बड़ी उपयोगी,
ग़रीबी में ढल कर संस्कार गया
कामकाज में लगे रह रहे हैं बच्चे,
पढ़ने का नहीं उत्तम संसार मिला।

सरकारी तन्त्र की कमजोरी से,
अब बच्चों का उन्नत उत्साह गया
स्वतन्त्र शिक्षित उद्यमी पराक्रमी बनने का,
यहां नहीं उत्तम खूबसूरत उपहार मिला।

दुखदाई दुखद संस्कृति के कारण,
मासूमियत को,खूब यहां तिरस्कार मिला।
बचपन की मुस्कान हमें सुरक्षित बचानी है,
बचपन मुरझाने न दें,हमें यह तरकीब दिखानी है॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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