कुल पृष्ठ दर्शन : 243

खनकती चूड़ियाँ तेरी

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

********************************************

खनकती चूड़ियाँ तेरी,
मुझे क्यों बुलाती है
पायल की खनक,
भी हमें बुलाती है।
हँसती हो जब तुम,
तो दिल खिल जाता है।
और मोहब्बत करने को,
मन बहुत ललचाता है॥

कमर की करधौनी,
भी कुछ कहती है
प्यास दिल की वो,
भी बहुत बढ़ाती है।
होंठों की लाली हँसकर,
हमें लुभाती है
और आँखें,आँखों से,
मिलने को कहती है॥

पहनती हो जो,
भी तुम परिधान
तुम्हारी खूबसूरती
और भी बढ़ती है।
और अंधेरे में भी पूनम के,
चाँद-सी बिखर जाती है
और रात की रानी की,
तरह महक जाते हो॥

तभी तो जवां दिलों में,
मोहब्बत की आग लगाते हो
और चाँदनी रात में अपने,
महबूब को बुलाते हो।
और अपनी मोहब्बत को,
दिल में समाते हो।
और अमावस्या की रात भी,
पूर्णिमा की रात बना देते हो॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

Leave a Reply