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तेरा कंगन खनके…

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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जब-जब तेरा कंगन खनके
तब-तब मेरा दिल धड़के,
सारे लम्हें और वो पलकें
कैसे बीते हम न समझे।

रात-रातभर नींद न आई
जब भी आई तेरी याद सताई,
सपनें में भी इश्क लड़ाया
छुप-छुप के मिलने तुमसे आए।

सुबह में आए शाम में आए
तेरे प्यार को भूल न पाए,
दिल की बात जुबान पे आई
प्यार की बातें दिल में समाई।

ऐ हवा जरा जोर लगा
जब भी आ मेरे यार को बुला,
पायल की झंकार में आ
हवा की रफ्तार में आ।

बादल भरी बरसात में आ
या हसीन रात में आ,
जब भी आ,तू बता के आ
मेरे यार का संदेश तू बताll

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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