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कल तेरी बाँह

गीता विश्वकर्मा ‘नेह’
कोरबा (छत्तीसगढ़)
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काव्य संग्रह हम और तुम से….

कल तेरी बाँह का संबल नहीं होने वाला,
और मुझ पर तेरा आँचल नहीं होने वाला।

इश्क आँखों में लिए बोल रहा है मुझको,
मैं तेरे प्यार में पागल नहीं होने वाला।

दिल ही दिल में हो रहा है वो परेशान बहुत,
कह रहा याद में बेकल नहीं होने वाला।

वो शरारत के भी लहजे में यही बोल रहा,
इन निगाहों का भी काजल नहीं होने वाला।

दूर रहकर भी मुहब्बत की ही बारिश होगी,
पर ग़मों का कोई बादल नहीं होने वाला।

मैं महक बन के बहारों में चला आऊँगा,
दर्दे-दिल से भी कभी छल नहीं होने वाला।

‘नेह’ ख़्वाबों का तसव्वुर में सजाए रख़ना,
सोचना मत कि मुकम्मल नहीं होने वाला॥

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