संजय वर्मा ‘दृष्टि’
मनावर(मध्यप्रदेश)
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बुजुर्ग की तस्वीर दीवार पर टँगी,
कुछ दिन चढ़े ताजे फूल
फिर प्लास्टिक के नकली फूल चढ़े,
धूल चढ़ी।
दीपावली पर ही झटका गया,
ध्यान किसी का नहीं गया
तस्वीर बोल नहीं पाती,
मनोभाव अवश्य पैदा करती।
ज्यादा जुड़ाव से टपक पड़ती आँसू की बूँद,
रिश्तों के पायदान नहीं समझ पाते
होंगे बड़ों के रिश्ते
रिश्तों की समझ नई पीढ़ी को क्या ?
उन्हें तो मोबाइल से रिश्ता,
घर में कौन आया, कौन गया ?
सब दूर की बात।
अब त्योहार आए,
घर पुता, रोशनी लगी
पुरानी चीजों को हटा कर नई
लगाने की चाह,
आधुनिकता में रिश्तों को बहाने लगी।
मेहमान आए, उन्होंने तस्वीर का पूछा,
स्मृति में बसी यादों को कैसे दोहराए!
फिल्मी दुनिया आ बसी तस्वीर की जगह,
रिश्ते अब नापसंद हो गए
दीवार की रौनक खराब हो रही थी
रिश्तों से,
जब ऐसे हाल तो…
श्राद्ध और तर्पण का क्या होगा!
कम से कम अपनों का ख्याल रखो,
आने वाले समय में यही कहानी
दोहराई जाएगी
तब दिल पे क्या बीतेगी ?
नई पीढ़ी को आधुनिकता के दलदल से,
निकलने की बात समझ में आएगी॥
परिचय-संजय वर्मा का साहित्यिक नाम ‘दॄष्टि’ है। २ मई १९६२ को उज्जैन में जन्में श्री वर्मा का स्थाई बसेरा मनावर जिला-धार (म.प्र.)है। भाषा ज्ञान हिंदी और अंग्रेजी का रखते हैं। आपकी शिक्षा हायर सेकंडरी और आयटीआय है। कार्यक्षेत्र-नौकरी( मानचित्रकार के पद पर सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज की गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेखन विधा-गीत,दोहा,हायकु,लघुकथा कहानी,उपन्यास, पिरामिड, कविता, अतुकांत,लेख,पत्र लेखन आदि है। काव्य संग्रह-दरवाजे पर दस्तक,साँझा उपन्यास-खट्टे-मीठे रिश्ते(कनाडा),साझा कहानी संग्रह-सुनो,तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो और लगभग २०० साँझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी निरंतर ३८ साल से रचनाएँ छप रहीं हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में देश-प्रदेश-विदेश (कनाडा)की विभिन्न संस्थाओं से करीब ५० सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले संजय वर्मा की विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी के संग साहित्य को बढ़ावा देना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,तो प्रेरणा पुंज-कबीर दास हैंL विशेषज्ञता-पत्र लेखन में हैL देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-देश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो,महंगाई भी कम हो,महिलाओं पर बलात्कार,उत्पीड़न ,शोषण आदि पर अंकुश लगे और महिलाओं का सम्मान होL