वाणी वर्मा कर्ण
मोरंग(बिराट नगर)
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बहुत हुई भाग-दौड़,
बहुत हुई आपाधापी
भीड़ में थोड़ा खुद को अलग कर लो,
आओ थोड़ा मुस्कुरा लो।
खुशी अपनी,निर्भरता क्यों दूसरे पर,
ढूंढो न इसे चहुँओर
ये तो पास हमारे,
जब जी चाहे आजमा लो।
आओ थोड़ा मुस्कुरा लो…
कभी धूप कभी छाँव,
बहुत खूबसूरत जीवन नाव
हवा का रुख जिस ओर भी हो,
हँसकर जीवन नैया पार कर लो।
आओ थोड़ा मुस्कुरा लो…
हमसे है जमाना,
हमसे है फसाना
फिर हम क्यों बेगाने अपने-आपसे,
थोड़ा खुद को संवार लो।
आओ थोड़ा मुस्कुरा लो…
खुद भी हँसें औरों को भी हँसाएं,
जीवन का उद्देश्य यही हो
चार दिन की जिंदगी,
हँसते-खेलते गुजार लो।
आओ थोड़ा मुस्कुरा लो…॥