कुल पृष्ठ दर्शन : 26

You are currently viewing आज़ादी हमको मिली

आज़ादी हमको मिली

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

*************************************************

स्वतंत्रता दिवस विशेष…

सावन मनभावन सरस, सुरभित हवा प्रवाह।
बलिदानों की याद बन, आजादी उत्साह॥

आज शहीदों को नमन, त्याग तपस्या मंत्र।
आजादी हमको मिली, सार्वभौम गणतंत्र॥

उड़े तिरंगा व्योम में, काल चक्र नीलाभ।
केसरिया हरिता धवल, शौर्य प्रगति अरुणाभ॥

कोटि-कोटि बलिदान से, देश हुआ स्वाधीन।
धर्म जाति भाषा ज़मीं, कलह वतन श्रीहीन॥

मेरे भारत देश में, जाति धर्म बहु भाष।
किन्तु एकता देश की, जन जन मन अभिलाष॥

अरुणाचल लद्दाख़ तक, नाथूला छांगूर।
भारत वीरों विजय रथ, अमर शौर्य दस्तूर॥

सावन की बरसात से, हरित राष्ट्र उत्कर्ष।
अन्न बसन जल छत सभी, हो आज़ादी हर्ष॥

लोकतंत्र विश्वास हो, युवाशक्ति उम्मीद।
रोजगार शिक्षा सुलभ, जन गण बने मुरीद॥

आती विपदा देश पर, भंग‌ प्रेम चहुँ शान्ति।
तब तब जनमानस जगे, परिवर्तन की क्रांति॥

पुन: शरारत पाक की, घुसपैठी आतंक।
दशहत फिर फैला रहे, छिप कर देते डंक॥

सीमा चहुँ माँ भारती, चौकस भारत वीर।
आतंकी संहार रत, बने सजग रणधीर॥

समरसता सौहार्द्र मन, मानवीय सहयोग।
ईश्वर पर हो आस्था, प्रेम शान्ति सुख भोग॥

महकें खुशियाँ देश में, खिले अधर मुस्कान।
दिली न्याय इन्सानियत, सदाचरण ईमान॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥