डॉ.जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
****************************
आजादी अनमोल पाई,बाँछें खिल गई,
आनंद मन अपार,बेहद खुशियां मिल गई।
पाए हक अधिकार,शासन चले जनता का,
करते हैं मतदान,डर नहीं रहा सत्ता का।
पढ़े-लिखे हर कोई,शिक्षा का है हक सबको,
निज योग्यता निखार,चूम ले चाहे नभ को।
करे सब ही शौक,जंचे सो पहने-ओढ़े,
है नहीं रोक-टोक,चढ़े रथ गाड़ी घोड़े।
देश हुआ आजाद,गुलामी ज्यादा भोगी,
अपना ही था देश,रहे बने अनुपयोगी।
अब खुले हुए द्वार,हर क्षेत्र में जाओ तो,
निज योग्यतानुसार,जरा कर दिखलाओ तो।
निज योग्यता निखार,पढ़-लिख पेच लड़वाओ,
करो परीक्षा पास,उच्च पद को हथियाओ।
स्वछंद हर प्रकार,दबाव नहीं अब मन पे,
खाओ,खूब कमाओ,आंच नहीं है अमन पे।
हुए पचहत्तर साल,आजादी अमृत जैसी,
खुश हो कर लो पान,और नहीं वस्तु ऐसी।
मत का है अधिकार,मन चाहता हो मत दो,
होय स्वेच्छानुसार,मत दे दो भले मत दो।
करते मधुरस पान,मस्त अमृत आजादी का,
विकसित अपना देश,अरब की आबादी का।
मिला चैन-आराम,अब नहीं बंधन कोई,
लोकतंत्र है राज,संविधान सम्मत होई॥