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प्रकृति जब नाराज हुई,संकट छाया

सम्पदा मिश्रा
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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प्रकृति जब नाराज हुई है,
जीवन पर संकट छाया है
जगती के इस विश्वपटल पर,
इस बार `कोरोना` आया हैl

जन की प्रतिरोधक क्षमता पर,
करता है यह विकट प्रहार
कुछ काल ग्रास बन जाते हैं,
कुछ का जीना होता दुश्वारl
फ्लू,सार्स,और कोरोना ने,
पूरे जग को भरमाया है
जगती के इस विश्व पटल पर,
इस बार कोरोना आया है…ll

कितना भी बन गए महान हम,
इसके आगे नतमस्तक हैं
भवसागर की इस विपदा में,
कौन हमारे रक्षक हैं ?
चहुँओर मची इस उथल-पुथल में,
अब प्रश्न यही गहराया है
जगती के इस विश्वपटल पर
इस बार कोरोना आया है…ll

कोरोना के अभिशाप से,
पूरा जग त्राहिमान कर रहा
अपने सारे जन को खोकर,
पूरा जग शमशान बन रहाl
चीन और इटली में इसने,
अपना आतंक मचाया है
जगती के इस विश्वपटल पर,
इस बार कोरोना आया है…ll

कोरोना के इस वायरस ने,
लोगों के सारे काम बिगाड़े
संतृप्त कर दिया है जीवन को,
कितनों के घर बार उजाड़ेl
इसीलिए तो सरकारों ने,
फिर कड़ा कदम उठाया है
जगती के इस विश्वपटल पर,
इस बार कोरोना आया है…ll

जग के सभी देश के लोग,
मन्दी को भी झेल रहे थे
अपनी अर्थव्यवस्था को,
जैसे-तैसे ठेल रहे थेl
सारे शेयर गिर गए धड़ाम,
कोरोना ने कहर मचाया है
जगती के इस विश्वपटल पर,
इस बार कोरोना आया है…ll

इसके खिलाफ सरकारों की,
ज़ंग अभी भी जारी तो है
इसका समूल दमन करने को,
सारी मेहनत वारी तो हैl
विधिना की कड़ी परीक्षा ने,
कैसा ये जाल बनाया है
जगती के इस विश्वपटल पर,
इस बार कोरोना आया है…ll

कोरोना की एक बात जो,
सब बातों पर भारी है
नहीं पता चलता है इसमें,
अब किसकी अगली बारी हैl
हिन्दू,मुस्लिम और ईसाई,
सबको ही ग्रास बनाया है
जगती के इस विश्वपटल पर,
इस बार कोरोना आया है…ll

परिचय-लेखनी के लिए आपको श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान मिल चुका है।अर्थशास्त्र की प्राध्यापिका सम्पदा मिश्रा की जन्मतिथि-१५ नवम्बर १९८० और जन्म स्थान-महाराष्ट्र है। इलाहाबाद (राज्य-उत्तर प्रदेश) शहर स्थित अल्लापुर में रहती हैं। एम.ए. एवं बी.एड.आपकी शिक्षा है,और कार्यक्षेत्र-बतौर प्रवक्ता (डाईट-इलाहाबाद) है। आपकी लेखन विधा-गद्य एवं पद्य है। आपने स्वर्ण पदक भी जीता है। लेखन आपका शौक है। लेखन का उद्देश्य-समाज को नई दिशा देना और समाज में ऊर्जा का संचार करना है।

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