जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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गुरु को मानत है जगत,गुरु का कर सम्मान।
गुरु शिक्षा का दीप है,गुरु समझावे ज्ञान॥
सीख भली गुरुदेव की,जीवन देत निखार।
ज्ञान अमोलक पाय के,सुख पावे संसार॥
पढ़े समझ साहित्य को,औरन को समझाय।
गुरु दाता है ज्ञान के,सच्चा ज्ञान बताय॥
कर अक्षर से रूबरू ,देत शब्द का सार।
पढ़ पोथी आगे बढ़े,ये गुरु का उपकार॥
शिक्षा के हर क्षेत्र में,पाते हैं हर कोय।
प्रतिभा में जी शिष्य के,गुरु विस्तारक होय॥