इंदौर (मप्र)।
साहित्य के उपासक समूह द्वारा वर्ष की अंतिम काव्य गोष्ठी का आभासी आयोजन किया गया। गोष्ठी का आरम्भ कानपुर क़ी सुश्री काव्या निराला द्वारा सरस्वती वंदना क़ी मधुर प्रस्तुति से हुआ।
गोष्ठी में नागपुर क़ी मेघा अग्रवाल ने ”बेटी को पढ़ना लिखना सिखलाया” रचना द्वारा कन्या की शिक्षा क़े महत्व पर बल दिया। इंदौर की सुश्री दिव्या भट्ट ने मनोरम गीत ”वेग-सा बहता बदन में’… शत्रुओं से जो न हारे” प्रस्तुत कर मातृभूमि क़ी सेवा में सतत समर्पित सैनिकों को नमन किया।
जबलपुर क़ी अर्चना गुदालू ने “पूनम का चाँद नभ भरे प्रकाश” से कार्यक्रम को शोभित किया। सुनीता राजीव ने हास्य कविता ‘महारोग’ प्रस्तुत कर व्यंगात्मक शैली में मानवजीवन पर बढ़ते आभासीय संसार के दुष्प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। काव्या नेमा ‘काव्या’, भावना मिश्रा, सुश्री काव्या निराला, शीला बड़ोदियाव व गीता पांडेय ‘अपराजिता’ आदि क़ी भी रचनाएँ प्रभावी रहीं। संचालन प्रशांत माहेश्वरी ने किया। अर्चना द्विवेदी ‘गुदालू’ द्वारा आभार ज्ञापित किया गया।