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आशा हैं ‘हिंदी’

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ 
उदयपुर (राजस्थान)
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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


देश की
भाषा हिंदी है,
देश की
आशा हिंदी है।
सवा सौ
करोड़ लोगों की,
अभिलाषा
हिंदी है।
दुनिया की हर
भाषा को,
अनुवाद करने का
सामर्थ्य हिंदी है।
भीतर की
मौन पीड़ा को,
सही अर्थ देने का
नाम हिंदी है।
निराला,बच्चन
प्रेमचन्द की,
पहचान हिंदी है।
मीरा,सूर
तुलसी,जायसी की,
तान हिंदी है।
देश की आन-बान
और शान,
मातृभाषा हिंदी है।
फिर भी
अपनों से बेगानी,
क्यों हिंदी है ?
देश का गौरवगान
हिंदी है,
राष्ट्रीय अस्मिता की
पहचान हिंदी है।
देश का स्वाभिमान
हिंदी है…॥

परिचय–निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित हिरणमगरी (राजस्थान)एवं स्थाई गोरजी फला ऋषभदेव जिला-उदयपुर(राज.)है। आपने हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर किया है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक का है।  सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में निरंतर सहभागिता करते हैं। श्री जैन की लेखन विधा-हाइकु,मुक्तक तथा गद्य काव्य है। लेखन में प्रेरणा पुंज-माता-पिता और धर्मपत्नी है। रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को समृद्ध व प्रचार-प्रसार करना है। 

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