राज कुमार चंद्रा ‘राज’
जान्जगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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दुनिया में सबसे अधिक कोई बलवान है तो वो है इच्छाशक्ति
,दुनिया की हर चीज इसके माध्यम से तुम्हें मिल सकती है। चाह होगी तो राह अपने-आप मिल जाएगी। वो हर चीज तुम्हें प्राप्त होती है जो तुम्हारे लिए जुनून बन जाती है।
स्वामी विवेकानंद जी कहते थे कि आगे बढ़ने की,महान बनने की ,सफल होने की,कुछ अलग करने की इच्छा जरूर रखो। संसार के जितने भी साधन हैं,वो इनसान के लिए ही बने हैं। तुमने अपने दोनों हाथ आँखों पर रख रखे हैं,और चिल्ला रहे हो कि अँधेरा है। अपने हाथ अलग करो, देखो चारों तरफ प्रकाश है। कमजोर को कुछ भी नहीं मिलता। साहसी को सब-कुछ मिलता है। कायरता के अंधेरे से बाहर निकलो और आगे बढ़ने का सपना देखो,उसी को जियो। इच्छाशक्ति वह हथियार या औजार है,जिसके पास है वह हर काम में सफल हैl सभी शक्तियों में इच्छाशक्ति सबसे प्रबल हैl इच्छाशक्ति हो तो व्यक्ति मुश्किल में हल निकाल कर बड़ी से बड़ी कठिनाई का भी सामना करके परिस्थिति को अपनी ओर मोड़ सकता हैl इच्छाशक्ति वह ऊर्जा है, जिसके प्रभाव से आत्मबल मजबूत होता हैl
परिचय-राज कुमार चंद्रा का साहित्यिक नाम ‘राज’ है। १ जुलाई १९८४ को गाँव काशीगढ़( जिला जांजगीर ) में जन्में हैं। आपका स्थाई पता-ग्राम और पोस्ट जैजैपुर,जिला जान्जगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चंद्रा की शिक्षा-एम.ए.(राजनीति शास्त्र) और डिप्लोमा(इन विद्युत एवं कम्प्यूटर)है। कार्यक्षेत्र- लेखन,व्यवसाय और कृषि है। सामाजिक गतिविधि में सामाजिक कार्य में सक्रिय तथा रक्तदाता संस्था में संरक्षक हैं। राजनीति में रुचि रखने वाले राज कुमार चंद्रा की लेखन विधा-आलेख हैं। कई समाचार पत्रों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जनजागरुकता है। आपके पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद और प्रेरणापुंज-स्वामी विवेकानंद तथा अटल जी हैं। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“भारत महान देश है। यहाँ की संस्कृति और परम्परा महान है,जो लोगों को अपनी ओर खींचती है। हिन्दी भाषा सबसे श्रेष्ठ है,ये जितनी उन्नति करेगी,देश उतना ही उन्नति करेगा।