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उसी से पूछना होगा

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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आसमां देखना चाहे खुद अपनी ऊंचाईयां
अक्स समुद्र की गहराईयों में देखना होगा,
आफताब में एहसास नहीं दिल की आग का…
दहकते अंगारों को हाथों में लेना ही होगा।

बहते किन आँसूओं में दिल का दर्द छिपा है
खून के कतरे को आँखों में खोजना होगा,
पीठ में खंजर घोंप कर गया है शख्स कौन…
दोस्तों को फेहरिस्त में वो नाम देखना होगा।

मेरी गली से गुजरता देख मुस्कराऊंगा मैं
दुआ करूं तो तेरा एक बार पलटना होगा,
पर बेआहट-चुपके से चली जाना वहां से…
बेवजह बात बनेगी तेरा जो ठिठकना होगा।

नशा नहीं हो रहा है जाम-ब-जाम दौर हुए
यूँ चेहरों को पढ़ने से फिर कुछ नहीं होगा,
हाथ कंपकंपाये हैं साकी के पैमाने बनाते…
राज गहरा है इसमें,उसी से ही पूछना होगा।

झाँक कर कभी अपने दिल में भी देख लो
शरमाया हुआ,अंजान कोई अरमान होगा,
चला आऊँगा मैं तेरे पास खुद ही लुटने को…
तेरा आँख का ईशारा मेरे लिए फरमान होगा।

जी भर-भर कर कोसते हो जाने किन को
कुचलती रहेंगी आवाज ना कहीं सुनना होगा,
मुरदों के हुजूम पे हुजूम इकट्ठे हो रहे हैं यहाँ…
इंकलाब का बिगुल तुम्हें ही तो फूंकना होगा।

यूँ ही नहीं सुलगाता रहता हूँ मैं चिंगारियां
एक दिन आग भड़केगी पूरा अरमान होगा,
‘देवेश’ की मुस्कराहट दमकती उसी आग से…
मेरे जनाजे में आना,बारात का भान होगा॥

परिचय-संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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